Sitapur Seat: 72 वर्ष में जीत की सिर्फ एक हैट्रिक, यहां समय-समय पर राजनीति लेती है करवट; क्या इस बार टूटेगा रिकॉर्ड?
Sitapur Lok Sabha Seat News पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले लोकसभा क्षेत्र सीतापुर की राजनीति समय-समय पर करवट लेती रही है। यही वजह है कि यह सीट किसी एक राजनीतिक दल का गढ़ नहीं बन सकी। जनता ने सबको सुना समझा परखा फिर अपना निर्णय सुनाया। आंकड़े इसके प्रमाण हैं। इस सीट के इतिहास के पन्नों को भी पलट लेते हैं।
जागरण संवाददाता, सीतापुर। सीतापुर के रण में कुछ आंकड़े बेहद दिलचस्प हैं। लोकसभा चुनाव में अब तक सिर्फ राजेंद्र कुमारी वाजपेयी ही इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा सकी हैं। वर्तमान भाजपा सांसद राजेश वर्मा इस सीट पर सबसे ज्यादा चार बार जीते, लेकिन हैट्रिक नहीं लगा पाए। वह भाजपा से लगातार दो जीत के साथ फिर मैदान में हैं। लोस चुनाव के पुराने पन्नों को पलटती जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट...
पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले लोकसभा क्षेत्र सीतापुर की राजनीति समय-समय पर करवट लेती रही है। यही वजह है कि यह सीट किसी एक राजनीतिक दल का गढ़ नहीं बन सकी। जनता ने सबको सुना, समझा, परखा फिर अपना निर्णय सुनाया। आंकड़े इसके प्रमाण हैं। इस सीट के इतिहास के पन्नों को भी पलट लेते हैं। लोकसभा के 17 चुनावों में सिर्फ कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी वाजपेयी को ही तीन चुनाव लगातार जीतने में सफलता मिली है।
उन्होंने वर्ष 1980, 1984 और 1989 के चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई। इसके अलावा वर्तमान सांसद राजेश वर्मा को भी चार बार इस क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। उनके अलावा कांग्रेस की उमा नेहरू व भाजपा के जनार्दन मिश्र दो-दो बार सांसद चुने गए। उमा नेहरू ने वर्ष 1952 व 1957 और जनार्दन मिश्र वर्ष 1991 व 1998 में सांसद चुने गए।
इनके अलावा जनसंघ के सूरजलाल वर्मा, शारदानंद दीक्षित, कांग्रेस के जगदीश चंद्र दीक्षित, जनता पार्टी के हर गोविंद वर्मा, सपा के मुख्तार अनीस व बसपा की कैसर जहां एक-एक बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। अगर दलों के प्रदर्शन की बात करें तो सपा अब तक यहां पर एक मात्र जीत वर्ष 1996 में ही हासिल कर सकी है। हालांकि, विस चुनावों में उसने बेहतर प्रदर्शन किया था।
...तो इस बार क्या होगा
वर्तमान सांसद राजेश वर्मा अब तक चार बार लोकसभा में सीतापुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1999 व 2004 में वह बसपा से सांसद चुने गए। वर्ष 2009 के चुनाव में वह धौरहरा से किस्मत आजमाने पहुंचे जहां शिकस्त मिली। हालांकि, इस चुनाव में सीतापुर से बसपा की ही कैसर जहां सांसद चुनी गई थीं। वह 2014 और 2019 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में सीतापुर से जीते हैं। एक बार फिर भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारा है।
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