Sitapur: पंच प्रयाग तीर्थ का जल दूषित, आस्था के केंद्र की सीढ़ियों पर काई; सांकेतिक बोर्ड की भी नहीं व्यवस्था
मां ललिता देवी मंदिर से पूर्व दिशा में स्थित पंच प्रयाग तीर्थ अति प्राचीन व पौराणिक महत्व का है। श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र इस तीर्थ की सीढ़ियों में काई लगी है। प्रकाश की व्यवस्था भी नाकाफी है। तीर्थ के महत्व को दर्शाने वाला सांकेतिक बोर्ड भी नहीं लगा है। इस कुंड में जल तो है लेकिन साफ नहीं जिससे श्रद्धालुओं को आचमन और मार्जन करने में असुविधा होती है।
By Badri vishal awasthiEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 08 Jul 2023 02:28 PM (IST)
संवाद सूत्र, नैमिषारण्य (सीतापुर): मां ललिता देवी मंदिर से पूर्व दिशा में स्थित पंच प्रयाग तीर्थ अति प्राचीन व पौराणिक महत्व का है। श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र इस तीर्थ की सीढ़ियों में काई लगी है। प्रकाश की व्यवस्था भी नाकाफी है। तीर्थ के महत्व को दर्शाने वाला सांकेतिक बोर्ड भी नहीं लगा है। इस कुंड में जल तो है लेकिन साफ नहीं है, जिससे श्रद्धालुओं को आचमन और मार्जन करने में असुविधा होती है। तीर्थ में साफ जल भराने की व्यवस्था होनी चाहिए।
ललिता देवी मंदिर आने वाले श्रद्धालु पंच प्रयाग तीर्थ में आचमन के लिए पहुंचते हैं। प्राचीन तीर्थ की अनदेखी से श्रद्धालुओं को समस्या होती है। पंच प्रयाग तीर्थ को अभी तक कायाकल्प सूची में शामिल नहीं किया गया है।
पंच प्रयाग तीर्थ का महत्व
मान्यता है कि महर्षि दधीचि ने पंच प्रयाग तीर्थ में स्नान किया था। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर यह अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ है। महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियों का दान करने से पहले सभी तीर्थों में स्नान व दर्शन की इच्छा प्रकट की थी। तब देवताओं ने सभी तीर्थों का आवाहन किया था।देवताओं एवं सृष्टि की रक्षा के लिए सभी तीर्थ नैमिषारण्य में 84 कोसी परिधि में विराजमान हो गए थे लेकिन तीर्थराज प्रयाग ने यह कहकर आने से मना कर दिया कि मैं तो सभी तीर्थों का राजा हूं। मैं कहीं नहीं जाऊंगा। ऐसे में देवताओं ने पांच तीर्थों के जल को मिश्रित कर मां ललिता देवी मंदिर की पूर्व दिशा में पंच प्रयाग तीर्थ की स्थापना की जिसमें स्नान कर महर्षि ने पुण्य अर्जित किया। परिक्रमा के समय व अमावस्या पर यहां लाखों श्रद्धालु मार्जन करते हैं।
पंच प्रयाग तीर्थ में आचमन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह तीर्थ महत्वपूर्ण स्थान पर होने के बाद भी उपेक्षित है। इसको संरक्षित करने पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
इस तीर्थ में महर्षि दधीचि ने स्नान किया था। सबसे पहले इसे कायाकल्प सूची में शामिल किया जाए। तीर्थ के दूषित जल को निकालकर साफ जल भरा जाए। ताजे जल की व्यवस्था की जाए।एसडीएम मिश्रिख अभिषेक कुमार शुक्ल के अनुसार, नैमिषारण्य तीर्थ के विकास को सरकार संकल्पित है। इसको लेकर तीर्थ विकास परिषद का गठन भी किया जा चुका है। सभी प्राचीन धार्मिक स्थलों को विकसित कराया जाएगा।
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