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आसान हुआ व्यापार, मिली मदद तो रोजगार के लगे पंख

निर्मल पांडेय सीतापुर महबूब अली 110 परिवारों को नियोजित कर रखे हैं। उन्होंने प्रत्येक

By JagranEdited By: Updated: Thu, 30 Dec 2021 09:40 PM (IST)
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आसान हुआ व्यापार, मिली मदद तो रोजगार के लगे पंख

निर्मल पांडेय, सीतापुर :

महबूब अली 110 परिवारों को नियोजित कर रखे हैं। उन्होंने प्रत्येक परिवारों से एक-एक व्यक्ति को रोजगार दिया है। यह सब एक जिला-एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) से संभव हुआ है। इन्होंने ओडीओपी से 50 लाख रुपये का लोन लिया था। उन्हें 10 लाख की सब्सिडी भी मिली है।

बिसवां के महबूब अली की दो साल पहले ही जलालपुर में यूनिट लगी है। उनका कहना है कि योगी सरकार में परिस्थितियां बदली हैं। व्यापार आसान हुआ है। ओडीओपी में न सिर्फ आर्थिक मदद मिल रही है बल्कि बिजनेश में ग्रोथ हुई है। टर्नओवर बढ़ा है। बेरोजगारों को रोजगार देने में आसानी हुई है। दरी व्यवसायी महबूब कहते हैं कि पहले लोन या अन्य कार्य के लिए वे लोग अधिकारी के पास धक्के खाते थे। अब अधिकारी खुद जरूरतें पूछने आ रहे हैं। नई यूनिट लगाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हर जरूरत को पूरा करने में लगे हैं। 50 हैंडलूम लगे, बढ़ाया व्यापार

धनाभाव के कारण महबूब व्यापार बढ़ा नहीं पा रहे थे। उस बीच ढाई-तीन करोड़ का टर्नओवर वार्षिक था। कांट्रेक्टरों के माध्यम से गांवों में दरियां बुनवाते थे। ओडीओपी आने के बाद इन्होंने जलालपुर की नई यूनिट में 50 हैंडलूम लगाए हैं। एक हैंडलूम पर दो कर्मी काम करते हैं। 10 अन्य कर्मी स्टाफ में हैं। महबूब बताते हैं कि ओडीओपी में मदद के बाद बिजनेश ग्रोथ कर गया है। पिछले साल का टर्नओवर चार करोड़ रुपये था। उम्मीद है कि इस बार करीब पांच करोड़ का टर्नओवर रहेगा। साल में करीब छह-सात लाख रुपये टैक्स देने लगे हैं।

वर्चुअल मीटिग से करते बिजनेश

महबूब अली बताते हैं कि उनकी दरियां जर्मनी, अमेरिका, साउथ अफ्रीका में एक्स्पोर्ट होती हैं। वह एक्सपोर्टर को माल देते हैं। आनलाइन वर्चुअल मीटिग कर उन्हें माल दिखाते व बेचते हैं। महबूब का व्यापार कोविड काल में भी फायदे में ही रहा।

हाथ की कारीगरी की विदेश में धमक

महबूब अली कहते हैं कि हाथ से बुनी दरियों को अंग्रेज काफी पसंद करते हैं। हमारी दरियां की प्रतिस्पर्धा पूरी दुनिया में नहीं है। मशीनमेड से तो लगभग हर देश आगे है लेकिन, हाथ की कारीगरी से फारेन में हिदुस्तान ही चमकता है। अन्य युवा भी बने स्वरोजगारी..

महबूब अली ने दो साल पहले ओडीओपी में सहायता लेकर अपना दरी उद्योग स्थापित किया था। आज इनका उद्योग काफी उन्नत कर गया है। सौ से अधिक लोग रोजगार पा रहे हैं। इनकी तरह अन्य युवा भी स्वरोजगारी बन सकते हैं। ओडीओपी में रोजगार व उद्योग की तमाम संभावनाएं हैं।

- आशीष गुप्ता, उपायुक्त-उद्योग

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