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यूपी की इस लोकसभा सीट पर गजब राजयोग, 72 सालों में चुने गए सभी सांसदों के नाम में 'R'; इनको तो मिले और अधिक वोट

72 वर्ष में 17 बार हुए चुनाव में 10 नेताओं को सीतापुर संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है। राजनीतिक जानकार तो सीट के लिए नाम में ‘र’ अक्षर को राजयोग बनाने वाला मान रहे हैं। अब तक सांसद चुने गए सभी नेताओं के नाम में ‘र’ अक्षर शामिल है। ‘र’ अक्षर से जिनके नाम की शुरुआत हुई उन्हें कुछ ज्यादा ही मजबूती मिली है।

By Jagdeep Shukla Edited By: Aysha Sheikh Updated: Mon, 18 Mar 2024 01:25 PM (IST)
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यूपी की इस लोकसभा सीट पर गजब राजयोग, 72 सालों में चुने गए सभी सांसदों के नाम में 'R'
जगदीप शुक्ल, सीतापुर। इसे गृह-नक्षत्रों का खेल कहें या महज संयोग। 1952 से 2024 तक यानी 72 वर्ष में 17 बार हुए चुनाव में 10 नेताओं को सीतापुर संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है। राजनीतिक जानकार तो सीट के लिए नाम में ‘र’ अक्षर को राजयोग बनाने वाला मान रहे हैं। अब तक सांसद चुने गए सभी नेताओं के नाम में ‘र’ अक्षर शामिल है। ‘र’ अक्षर से जिनके नाम की शुरुआत हुई उन्हें कुछ ज्यादा ही मजबूती मिली है।

राजेंद्र कुमारी वाजपेयी व राजेश वर्मा ऐसे सांसद हुए हैं जिनके नाम की शुरुआत ‘र’ से हुई है। राजेंद्र कुमारी व राजेश क्रमश: तीन व चार बार इस क्षेत्र का नेतृत्व कर चुके हैं। इतना ही नहीं इस अक्षर ने प्रतिद्वंद्वियों को भी ताकत दी है। ढाई दशक में मुख्तार अनीस को सबसे कम और नकुल दुबे को सबसे अधिक मतों के अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा है। मिली है। अक्षरों के गणित को खंगालती जगदीप शुक्ल की रिपोर्ट...

‘र’ से नाम की शुरुआत का दिखा प्रभाव

‘र’ से नाम की शुरुआत का प्रभाव नेताओं के राजनीतिक करियर पर भी दिखा। राजेंद्र कुमारी वाजपेयी व राजेश वर्मा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी वाजपेयी ने 1980, 84 व 89 में चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई। वहीं, राजेश वर्मा को इस क्षेत्र का सबसे अधिक चार बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह बसपा से 1999 व 2004 और भाजपा से 2014 व 2019 में सांसद रह चुके हैं।

प्रतिद्वंद्वियों को भी ‘र’ से मिली ताकत

सिर्फ जीतने वाले ही नहीं हारने वालों को भी ‘र’ अक्षर से ताकत मिली। ‘र’ अक्षर वाले प्रत्याशी न सिर्फ मुख्य मुकाबले में रहे बल्कि उनकी जीत का अंतर भी कम रहा। वर्ष 1999 में बसपा के राजेश वर्मा से भाजपा के जनार्दन मिश्र को 36362 मतों से शिकस्त मिली। उन्हें 174758 मिले थे। 2004 में राजेश से सपा के मुख्तार अनीस को 5234 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा।

मुख्तार को 166499 मत मिले थे। 2009 में बसपा की कैसर जहां से सपा के महेंद्र सिंह वर्मा 221474 मत पाकर 19632 मतों से हारे। 2014 में भाजपा के राजेश वर्मा ने बसपा की कैसर जहां को 51027 व 2019 में बसपा के ही नकुल दुबे को 100833 मतों से पराजित किया। इन चुनावों में कैसर जहां व नकुल को क्रमश : 366519 व 413695 मत मिले। 1999 से लेकर अब तक सबसे अधिक मतों के अंतर से हार नकुल दुबे को मिली, जिनके नाम में ‘र’ नहीं था।

पराक्रम भाव में ‘र’...

वैदिक ज्योतिषाचार्या अपराजिता अपूर्व ने बताया कि सीतापुर से अब तक चुने गए सभी सांसदों के नाम में ‘र’ अक्षर पराक्रम भाव में हैं। जिन नामों में शुरुआत का पहला अक्षर ‘र’ है और ‘आ’ की मात्रा साथ में है। उनके उच्चारण में उकार भाव की प्रधानता रहती है। इसके चलते उनका पराक्रम भाव अन्य की अपेक्षा ज्यादा प्रभावी रहता है।

शुरुआत से अब तक ‘र’ का राज

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