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UP Govt School : 50 से कम बच्चों की संख्या वाले 312 विद्यालय रडार पर, प्रधान बोलीं- बर्बाद हो जाएगा बच्चों का भविष्य

प्रधान सावित्री देवी कहती हैं कि विद्यालय बंद होने से शिक्षा व्यवस्था चौपट होगी बच्चे दूर के विद्यालय नहीं जा पाएंगे। जवाहरपुर की प्रधान मुन्नी देवी व मछरेहटा के मिर्जापुर दक्षिणी के प्रधान राम मनोहर विद्यालय बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। इनका कहना है कि बच्चे कम हैं तो विद्यालय बंद करना व मर्ज करना विकल्प नहीं है। बच्चों की संख्या बढ़ाई जाए। विद्यालय उपयोगी बने रहें।

By Badri vishal awasthi Edited By: Mohammed Ammar Updated: Mon, 04 Nov 2024 05:19 PM (IST)
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सरकारी स्कूलों बच्चों की घटती संख्या चिंता का विषय है।
बद्री विशाल अवस्थी, सीतापुर। 50 बच्चों से कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालय निकट के विद्यालय में समायोजित हाेंगे। महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के निर्देश पर इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। कम नामांकन वाले विद्यालयों के समीपवर्ती विद्यालयों की 11 बिंदुओं पर सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

इसमें ऐसे विद्यालयों की संख्या, ब्लाक, ग्राम पंचायत, 50 से कम नामांकन वाले विद्यालय का नाम, यू-डायस कोड, वर्तमान छात्र संख्या, निकट के विद्यालय का नाम, ग्राम पंचायत, यू-डायस कोड, एकीकरण के बाद छात्र संख्या, 50 से कम नामांकन वाले विद्यालय से एकीकरण वाले विद्यालय की दूरी शामिल हैं। विद्यालय के समायोजन में यह ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं कि एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय के बीच नदी, नाला, नेशनल हाईवे, रेलवे लाइन आदि तो नहीं है। जिले में 312 ऐसे परिषदीय विद्यालय हैं, जहां 50 से कम बच्चे हैं।

इनमें तीन विद्यालयों में क्रमश: पांच, आठ व नौ बच्चे पंजीकृत हैं, जबकि 12 ऐसे विद्यालय हैं, जहां 20 से कम बच्चे नामांकित हैं। शेष 30 से 50 की संख्या के बीच में हैं। इसको लेकर शिक्षक, अभिभावकों में बेचैनी है। बच्चे गांव के विद्यालय में मुश्किल से पहुंचते हैं, वह दूसरे विद्यालय कैसे जाएंगे।

विद्यालय बंद करने के पक्ष में नहीं प्रधान

महोली की ग्रापं कुसैला में 47 व इसके मजरा कुतलूपुर 18 बच्चे नामांकित हैं। प्रधान मुन्नी देवी कहती हैं, बच्चों के नामांकन के लिए प्रयास हों, विद्यालय बंद करने से गलत संदेश जाएगा। खैराबाद की ग्राम पंचायत सरांय भांट के विद्यालय में 36 बच्चे हैं।

प्रधान सावित्री देवी कहती हैं कि विद्यालय बंद होने से शिक्षा व्यवस्था चौपट होगी, बच्चे दूर के विद्यालय नहीं जा पाएंगे। जवाहरपुर की प्रधान मुन्नी देवी व मछरेहटा के मिर्जापुर दक्षिणी के प्रधान राम मनोहर विद्यालय बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। इनका कहना है कि बच्चे कम हैं तो विद्यालय बंद करना व मर्ज करना विकल्प नहीं है। बच्चों की संख्या बढ़ाई जाए। विद्यालय उपयोगी बने रहें।

विद्यालयों को मर्ज करने संबंधी अभी कोई स्पष्ट आदेश निदेशालय से नहीं आया है। भारत सरकार के स्तर से अवश्य 50 से कम बच्चों की संख्या वाले विद्यालयों का डाटा मांगा गया है।

अखिलेश प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी, सीतापुर।

50 से कम बच्चों वाले विद्यालयों को बंद कर दूसरी जगह मर्ज करने की व्यवस्था का हम डटकर विरोध करेंगे। इससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान चलाया गया था। उद्देश्य था, सभी गांव, मजरों में विद्यालय हों। बालिक-बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर शिक्षा मिले। विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़े, शैक्षिक गुणवत्ता सुधरे, अच्छी पढ़ाई हो। सरकार को इस पर काम करना चाहिए।

डा. दिनेश चंद्र शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष-प्राथमिक शिक्षक संघ

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