AI के संगम से सैमसंग कंपनी का नवाचार, सुदूर गांवों में मोबाइल के पुराने माडल से नेत्र जांच को मिल रही नई रोशनी
सैमसंग ने इस नवाचार को द गैलेक्सी अपसाइकिल नाम दिया है क्योंकि यह गैलेक्सी माडल के फोन से ही किया जा रहा है। इसमें मोबाइल निर्माता कंपनी के साथ इंटरनेशनल एजेंसी फार प्रिवेंशन आफ ब्लाइंडनेस भी जुड़ी है।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Wed, 26 Oct 2022 05:21 PM (IST)
जितेंद्र अवस्थी, सीतापुर। विशेषज्ञ कहते हैं कि अधिक देर तक मोबाइल देखना आंख को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सीतापुर आंख अस्पताल में मोबाइल और स्मार्ट तकनीक का संगम नेत्र जांच को नई रोशनी दे रहा है। सैमसंग के मोबाइल और इसके साथ लगी डिवाइस से आंखों की जांच की नई तकनीक ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को लाभ पहुंचा रही है। रेटिना में क्या दिक्कत है, यह ग्रामीण क्षेत्र में बने अस्पताल के विजन सेंटर पर ही पता चल जा रहा है। मरीजों को सीतापुर आंख अस्पताल नहीं आना पड़ता। सीतापुर आंख अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. मधु भदौरिया ने बताया कि कंपनी ने उन्हें 20 मोबाइल और डिवाइस दी हैं। इनके माध्यम से मरीजों की आंखों की जांच की जा रही है। इसका बड़ा लाभ यह है कि रेटिना की जांच के लिए प्रयोग होने वाली महंगी मशीन का काम कम कीमत में हो जा रहा है। साथ ही, यह पोर्टेबल होने के कारण आसानी से संचालित भी की जा सकती है और कहीं भी ले जाई जा सकती है।
इस तरह काम करती है यह तकनीक
इस नवाचार में प्रयोग किए गए मोबाइल पुराने माडल के हैं। इनके साथ सैमसंग ने लेंस समेत एक डिवाइस भी जोड़ी है। इस पूरी प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी प्रयोग किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बने अस्पताल के विजन सेंटर पर आने वाले मरीजों का विवरण मोबाइल में दर्ज किया जाता है। इसके बाद मोबाइल में लगी डिवाइस से रेटिना की फोटो खींची जाती हैं। ये फोटो और विवरण आनलाइन हो जाता है। जिसे सीतापुर आंख अस्पताल में मौजूद विशेषज्ञ डाक्टर देख सकते हैं और चिकित्सा परामर्श दे सकते हैं। यदि बीमारी गंभीर नहीं है तो डाक्टर फोन पर ही दवा बता देते हैं। यदि जांच के बाद गहन उपचार की आवश्यकता महसूस होती है तो मरीज को अस्पताल बुला लिया जाता है।
सैमसंग मोबाइल और डिवाइस से आंखों के पर्दे की जांच करने के बाद जानकारी देता स्वास्थ्यकर्मी। सौ. अस्पताल
यहां होती है फोन और डिवाइस से जांच
सीतापुर जिले में रामपुर मथुरा, खैराबाद, लहरपुर, बिसवां व तंबौर के विजन सेंटर पर सैमसंग मोबाइल और डिवाइस के जरिए मरीजों की आंख के पर्दे की जांच की जाती है। इसके अलावा लखीमपुर, पलिया, गोला गोकर्णनाथ व ऐरा, नानपारा-बहराइच, पिहानी-हरदोई, बाराबंकी में देवा विजन सेंटर पर भी इस तकनीक से आंख की जांच हो रही है। अस्पताल की ओर से लगाए जाने वाले नेत्र शिविर में भी एक डिवाइस जाती है।2,036 मरीजों की जांच
इस नवाचार के संचालन से जुड़े प्रोजेक्ट मैनेजर अंशू सिंह ने बताया कि सैमसंग मोबाइल और डिवाइस के जरिए अगस्त 2021 से 26 सितंबर तक 2,036 मरीजों की आंखों के पर्दे की जांच की गई। 17 मरीजों की आंखों का निश्शुल्क आपरेशन किया जा चुका है।सैमसंग ने यह नवाचार वर्ष 2017 में दक्षिण कोरिया से आरंभ किया था। आंखों की जांच में सहूलियत देखकर कंपनी ने भारत सहित चार देशों में भी इसे आरंभ किया गया। भारत में सीतापुर आंख अस्पताल के अलावा दिल्ली के डाक्टर श्राफ धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय, जोधपुर के गुरुहस्ती चिकित्सालय और पुडुचेरी के अरविंद नेत्र चिकित्सालय के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम किया जा रहा है। रेटिना की जांच के लिए प्रयोग होने वाली मशीनें खासी महंगी होती हैं। ये मशीनें 10 लाख से 60 लाख रुपये तक में आती हैं जबकि मोबाइल और डिवाइस पर कुछ हजार रुपये ही खर्च होते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि मोबाइल और डिवाइस से ली गई आंख की तस्वीरों की गुणवत्ता मशीनों की गुणवत्ता से कम होती है, लेकिन यह इतनी होती है कि चिकित्सक रोग की गंभीरता का पता लगा सकें। सैमसंग ने इस नवाचार को द गैलेक्सी अपसाइकिल नाम दिया है क्योंकि यह गैलेक्सी माडल के फोन से ही किया जा रहा है। इसमें मोबाइल निर्माता कंपनी के साथ इंटरनेशनल एजेंसी फार प्रिवेंशन आफ ब्लाइंडनेस भी जुड़ी है।
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