बसपा में घटा व भाजपा में बढ़ा राजेश की जीत का अंतर; भाजपा में पलटी मारते ही खुल गए भाग, मतों में दिखा बड़ा अंतर
20 वर्षों तक संसद में सीतापुर का प्रतिनिधित्व करने वाले राजेश वर्मा एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। राजनीतिक लिहाज से भाजपा उनका दूसरा पड़ाव है। उन्होंने बसपा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी जहां उनका सफर हार से शुरू होकर हार पर ही समाप्त हुआ। उन्होंने 1996 में बेहटा से विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें पराजय मिली।
जगदीप शुक्ल, सीतापुर। 20 वर्षों तक संसद में सीतापुर का प्रतिनिधित्व करने वाले राजेश वर्मा एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। राजनीतिक लिहाज से भाजपा उनका दूसरा पड़ाव है। उन्होंने बसपा से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी, जहां उनका सफर हार से शुरू होकर हार पर ही समाप्त हुआ।
उन्होंने 1996 में बेहटा से विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें पराजय मिली। इसके बाद वर्ष 1999, 2004 और 2009 में बसपा से और वर्ष 2014 व 2019 में भाजपा से चुनाव लड़े। इसमें 2009 के चुनाव को छोड़कर सभी में जीत मिली। वर्ष 1999 और 2004 में वह बसपा से सांसद चुने गए, लेकिन उनकी जीत का अंतर हर बार घटता रहा।
1999 में इन्होंने 36362 और 2004 में 5234 मतों के अंतर से जीत हासिल की। इतना ही नहीं 2009 के चुनाव में उन्हें धौरहरा से 184500 के बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। उधर, भाजपा इस मायने में इनके लिए मुफीद साबित हुई है।
वर्ष 2013 में भाजपा में शामिल होने के बाद इनके कद में सिर्फ बढ़ोतरी हुई बल्कि जीत का अंतर भी बढ़ा है। वर्ष 2014 में 51027 मतों के अंतर से इन्होंने जीत हासिल की थी। वर्ष 2019 के चुनाव में इसमें बढ़ोतरी हुई और जीत का अंतर दोगुणा हो गया। इस चुनाव में राजेश 100833 मतों के अंतर से सांसद चुने गए।
बेहटा से विधानसभा चुनाव में मिली थी हार
वर्ष 1996प्रत्याशी दल प्राप्त मतमहेंद्र सिंह झीन बाबू सपा 57,853राजेश वर्मा बसपा 44,559पराजय का अंतर : 13,294
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