Move to Jagran APP

भारी यातायात से ओबरा डैम को बढ़ा खतरा

रेणुका नदी पर नए पुल के निर्माण में हो रही देरी के कारण ओबरा डैम पर खतरा बढ़ता जा रहा है। ओबरा डैम पर बढ़ते यातायात के कारण जहां डैम के उपर की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो गई हैं।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 30 Oct 2019 09:58 PM (IST)
भारी यातायात से ओबरा डैम को बढ़ा खतरा

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : रेणुका नदी पर नए पुल के निर्माण में हो रही देरी के कारण ओबरा डैम पर खतरा बढ़ता जा रहा है। यातायात के कारण डैम के ऊपर की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो गई हैं। पिछले कुछ वर्षों में डैम से गुजरने वाले वाहनों की संख्या में 300 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। पूरे देश में इतने बड़े डैम के ऊपर से सामान्य यातायात की कहीं भी अनुमति नहीं है। लेकिन रेणुकापार के लाखों की आबादी के लिए एकमात्र माध्यम होने की वजह से डैम के ऊपर से यातायात जारी रखना पड़ रहा।

सामान्य यातायात जारी रहने से बढ़ रहे खतरे से कई अधिकारियों ने मुख्यालय स्तर को सूचित किया है लेकिन, पुल निर्माण को लेकर खास गंभीरता नहीं नजर आ रही है। दो वर्ष पहले ही जल विद्युत निगम के तत्कालीन अधिशासी अभियंता इं. संजय कुमार ने ओबरा डैम की सुरक्षा पर बढ़ते आवागमन की वजह से गंभीर खतरा जताया था। अधिशासी अभियंता ने अधीक्षण अभियंता मुख्यालय को लिखे पत्र में लगभग 50 वर्ष पुराने ओबरा डैम से आवागमन पर आपत्ति जताई थी। गत वर्ष ही उत्पादन निगम के निदेशक परियोजना एवं वाणिज्य निदेशक इ. सुबीर चक्रवर्ती ने ओबरा डैम से आवागमन को डैम के लिए असुरक्षित मानते हुए कहा था कि वैकल्पिक तौर पर पुल का निर्माण जरूरी है। उधर राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरदेव नारायण तिवारी ने डैम के सुरक्षा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि डैम की सुरक्षा के लिए दीर्घकालीन नजरिया नहीं दिख रहा है। जिसके कारण लगातार ओबरा डैम पर असुरक्षा की स्थिति बनी रह रही है। शासन को नहीं गया प्रस्ताव

रेणुका नदी पर पुल नहीं होने के कारण दशकों से कालापानी जैसी स्थिति झेल रहे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लिए शासन प्रशासन में ज्यादा गंभीरता नही दिखाई पड़ रही है। नए प्रस्ताव के तहत ओबरा डैम से 1.85 किलोमीटर डाउन स्ट्रीम पर पुल बनाया जाना है। इंटक के जिलाध्यक्ष हरदेव नारायण तिवारी ने बताया कि सेतु निगम द्वारा 82 करोड़ की लागत से 540 मीटर लंबा और 15 मीटर चौड़ा पुल बनाने का प्रस्ताव है लेकिन, नये पुल की फाइल अभी तक शासन तक नहीं पहुंची है। शिलान्यास के बाद हो गया था पुल निरस्त

रेणुकापार के आदिवासी अंचलों को जोड़ने के लिए रेणुका नदी पर स्वीकृत पुल का निर्माण नवम्बर 2017 में निरस्त कर दिया गया था। पिछले कई दशकों की मांग के साथ कई बड़े आंदोलन के बाद पिछली सरकार ने 10 नवम्बर 2016 को पुल को स्वीकृति दी थी। ओबरा के पास चकाड़ी गांव में राखी पुल के पास पुल निर्माण के लिए 26 करोड़ 23 लाख 67 हजार रुपए शासन द्वारा स्वीकृत किया गया था। जिसमें वित्तीय वर्ष 2016-17 में एक करोड़ रुपया अवमुक्त करा दिया गया था। इस पुल का शिलान्यास भी 23 दिसम्बर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा हो चुका था। पुल निर्माण के लिए सेतु निगम द्वारा पूरी तैयारी भी कर ली गयी थी। लेकिन 1320 मेगावाट क्षमता के निर्माणधीन ओबरा सी के कारण पुल निर्माण शुरू करने में शिथिलता आने लगी। ओबरा सी प्रशासन द्वारा चकाड़ी में पुल बनने वाले तय स्थान तक संपर्क मार्ग के लिए भूमि नही देने के कारण हो रही देरी के कारण अंतत: प्रस्तावित पुल को नवम्बर 2017 में निरस्त कर दिया गया था।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।