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Shivdwar: शिवलिंग नहीं साक्षात 'शिव-पार्वती' की होती है पूजा, खेत से निकली थी मूर्ति; सोनभद्र का अनोखा मंदिर

Sawan 2023- Uma Maheshwar Temple उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक ऐसा शिव मंदिर है जहां पूर्वांचल का हर शिव भक्त सावन में जल चढ़ाने आता है। काशी से ही सटे सोनभद्र जिले में भी भगवान शिव का ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग की नहीं साक्षात शिव-पार्वती की पूजा होती है। पूरे सावन यहां कांवड़ियों का रेला लगा रहता है। भगवान भोलेनाथ का शिवद्वार धाम अनोखा मंदिर है।

By Swati SinghEdited By: Swati SinghUpdated: Sun, 02 Jul 2023 11:43 AM (IST)
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शिवलिंग नहीं साक्षात 'शिव-पार्वती' की होती है पूजा, खेत से निकली थी मूर्ति; सोनभद्र का अनोखा मंदिर
सोनभद्र, जागरण डिजिटल डेस्क। चार जुलाई से महादेव का महीना शुरु होने जा रहा है। दुर्लभ संयोग के चलते इस साल सावन 59 दिनों का होगा। पवित्र माह सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। कहते हैं सावन के सोमवार का व्रत रखने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है। उत्तर प्रदेश में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। काशी विश्वनाथ से तो सभी परिचित हैं, लेकिन एक ऐसा मंदिर हैं जहां साक्षात शिव-पार्वती की पूजा होती है।

हम देखते हैं कि अधिकतर मंदिरों में शिवलिंग पर ही जल चढ़ाया जाता है। देश में ऐसे कम ही मंदिर हैं जहां पर साक्षात भगवान शिव की पूजा की जाती हो। इन्हीं कम मंदिरों में से एक मंदिर है उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में। काशी से ही सटे सोनभद्र जिले में भी भगवान शिव का ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग की नहीं, साक्षात शिव-पार्वती की पूजा होती है। पूरे सावन यहां दर्शनार्थियों का रेला लगा रहता है। यहां सावन में कांवड़ियों की संख्या लाखों में होती है।

शिवद्वार धाम में स्थापित उमामहेश्वर की अप्रतिम मूर्ति के दर्शन के लिए दूर-दराज से शिवभक्त आते हैं। शिवद्वार पूर्वांचल का धाम है जहां भोलेनाथ के दर्शन के लिए सावन के पहले दिन से ही भक्तों का तांता लग जाता है। वैसे उमामहेश्वर की अप्रतिम मूर्ति को लेकर कई मान्यताएं भी हैं। इन्हीं में से एक मान्यता ये है कि जिस भगवान भोलेनाथ की मूर्ति की यहां पूजा की जाती है वह खेत से निकली थी। इसे शिवद्वार धाम के साथ-साथ उमा महेश्वर मंदिर और गुप्त कशी के रूप में भी जाना जाता है।

खेत से निकली थी शिव और माता पार्वती की मूर्ति

सोनभद्र में स्थित शिवद्वार धाम में भगवान शिव और उनकी धर्मपत्नी माता पार्वती की मूर्ति है। ऐसी मान्यता है कि ये मूर्ति एक जमींदार को खेत की जुताई के दौरान निकली थी। ऐसी मान्यता है कि 19वीं सदी के चौथे दशक में खेत में हल चलाते समय गांव के मोती महतों नामक किसान को सतद्वारी गांव में प्रसिद्ध उमामहेश्वर की अप्रतिम मृर्ति मिली थी। मूर्ति के मिलने से सभी ने इसे भगवान का आशीर्वाद माना। फिर गांव के जमींदार परिवार की बहुरिया अविनाश कुवरि द्वारा इस मूर्ति को स्थापित किया गया और मंदिर का निर्माण कराया। इश मंदिर का नाम शिवद्वार पड़ा।

ये माना जाता है कि वर्ष 1938 में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी। कालान्तर में ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती द्वारा मंदिर का सुंदरीकरण एवं मंदिर परिसर में ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराई गई थी। इसके बाद से ये मंदिर पूरे पूर्वांचल में विख्यात है। इस मंदिर पर सावन में शिव भक्तों का तांता लगता है।

शिव-पार्वती की अनोखी मूर्ति

वैसे हमने अक्सर देखा है कि भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में ही की जाती है। बहुत ही कम जगह पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है और अगर भगवान शिव और माता पार्वती दोनों क एक साथ मूर्ति की बात करें तो वो और भी कम जगहों पर देखने को मिलेगी। शिवद्वार धाम की खासियत ही यहीं है कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति है और वो भी एक साथ। इस मंदिर के गर्भगृह में देवी पार्वती की 11 वीं सदी की काले पत्थर की मूर्ति रखी हुई है। यह तीन फुट ऊंची मूर्ति सृजन मुद्रा में रखी हुई है जो एक रचनात्मक मुद्रा है।

ये मूर्ति बेहतरीन कलाकारी का एक उदाहरण है। यह मंदिर उस काल के शिल्प कौशल के बेहतरीन नमूने और शानदार कला का प्रदर्शन करता है। यह मंदिर, मौद्रिक मूल्य के संदर्भ में भी बहुत कीमती है। काले रंग की शिव-पार्वती की ये मूर्ति अपने में काफी खास है। शिव-पार्वती के साथ-साथ यहां दूसरे भगवानों की भी मूर्ति है और वह भी काले रंग की।

कैसे जाएं शिवद्वार

शिवद्वार, जिसे आधिकारिक तौर पर उमा महेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है और यह उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में घोरावल से 10 किमी दूर स्थित है। आप सोनभद्र जा कर वहां से बस से जा सकते हैं।

अगर आप अपने वाहन से जाते हैं तो वहऔर बेहतर है। उसके लिए आपको मिर्जापुर को पार करते हुए सोनभद्र जाना होगा। सोनभद्र के घोरावल से शिवद्वार का रास्ता जाता है। खास बात ये है कि यहां का रास्ता बहुत अच्छा है, तो आपको ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।

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