रेल विद्युतीकरण का कार्य करने वाली कंपनी बर्खास्त
पूर्व मध्य रेलवे के गढ़वा रोड-¨सगरौली एवं उत्तर-मध्य रेलवे के चोपन-चुनार रेलखंड में इलेक्ट्रिक ट्रेन चलने में देरी हो सकती है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : पूर्व मध्य रेलवे के गढ़वा रोड-¨सगरौली एवं उत्तर-मध्य रेलवे के चोपन-चुनार रेलखंड में इलेक्ट्रिक ट्रेन चलने में और देरी हो सकती है। रेलवे ने विद्युतीकरण में हो रही देरी के कारण विद्युतीकरण कर रही कंपनी ईएमसी लिमिटेड को बर्खास्त कर दिया है। कंपनी को बर्खास्त करने में विद्युतीकरण में देरी के साथ कई अन्य पहलुओं को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। पूर्व मध्य रेलवे के गढ़वा रोड-¨सगरौली के विद्युतीकरण का कार्य वर्ष 2014 से चल रहा था जिसे 2016 में पूरा होना था लेकिन वर्ष 2018 के अंत तक रेलखंड के बड़े हिस्से का कार्य पूरा नही हो पाया था।
उधर उत्तर मध्य रेलवे के चोपन-चुनार रेलखंड के विद्युतीकरण का कार्य भी वर्ष 2016 के अंत से शुरू हुआ। इसमें भी काफी कार्य शेष बचा हुआ था। रेलवे ने ईएमसी कंपनी के सभी भुगतान रोकते हुए कई तकनीकि कार्रवाई की है। पूर्व मध्य रेलवे के विद्युतीकरण के मुख्य परियोजना निदेशक एके चौधरी ने बताया कि विद्युतीकरण में देरी के साथ उक्त कंपनी के कार्यों में कई विसंगतियां थीं। इस देखते हुए उनसे काम वापस लिया गया है। बताया कि फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। अगले दो माह में विद्युतीकरण का कार्य पुन: शुरू हो जाएगा। संभावना है कि 2019 के अंत तक विद्युतीकरण के कार्य में लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाए। कुल 378 किलोमीटर में होना है विद्युतीकरण
देश में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले मंडलों में दूसरे नम्बर के पूर्व मध्य रेलवे के धनबाद मंडल के गढ़वा रोड-चोपन-¨सगरौली रेलखंड के 257 किलोमीटर के हिस्से में विद्युतीकरण होना था। अक्टूबर 2013 में रूट के हिसाब से 257 किमी लंबे गढ़वा रोड ¨सगरौली रेल मार्ग के विद्युतीकरण कार्य को अनुमति प्रदान की गई। ट्रैक रूट के हिसाब से यह दूरी 347 किमी थी। जनवरी 2014 से रूट के विद्युतीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया। वर्ष 2014 से लगभग 250 करोड़ की लागत से शुरू हुए कार्य में गढ़वा रोड से रेणुकूट तक पिछले वर्ष इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने में सफलता मिली थी। जनवरी 2019 में रेणुकूट से चोपन तक इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का ट्रायल चल रहा था। चोपन तक विद्युतीकरण का कार्य लगभग पूरा हो गया था। इसके अलावा बिल्ली जंक्शन से ¨सगरौली के बीच फाउंडेशन का कार्य 80 फीसदी तक हो गया था। रेणुकूट और ओबरा डैम रेलवे स्टेशन के पास 25 केबी क्षमता के विद्युत उपकेंद्रों का कार्य चल रहा था। लेकिन अब विद्युतीकरण का कार्य ठप होने से परियोजना में और देरी की सम्भावना है। उधर, उत्तर मध्य रेलवे के चुनार- चोपन रेलखंड के 121 किमी हिस्से पर 129.66 करोड़ की लगत से वर्ष 2016 के अंत से कार्य चल रहा था। सूत्रों की मानें तो दोनों परियोजना में देरी की वजह से रेलवे ने ईएमसी पर नौ लाख प्रतिमाह का पेनाल्टी भी लगा दिया था। साथ ही रेट रिविजन की मांग भी ठुकरा दी थी। इस कारण सामजस्य की समस्या भी सामने आ रही थी।