Chakbandi In UP: यूपी के इन जिलों में AI और ड्रोन की मदद से होगी चकबंदी, ऑनलाइन मिलेगी पूरी जानकारी
Chakbandi In UP लंभुआ तहसील के धनहुआ व जयसिंहपुर तहसील के कारेबन में चकबंदी अब नई विधि से होगी। इन दोनों गांवों का चयन पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किया गया है। इसी तरह गाजीपुर में दो मऊ बाराबंकी प्रतापगढ़ शाहजहांपुर समेत अन्य जिलों के एक-एक गांव लिए गए हैं। एआइ ब्लाक चेन हैंडहोल्ड डिवाइस ड्रोन व रोवर सर्वे से कराई जाने वाली चकबंदी से भूमि का विवरण आनलाइन हो जाएगा।
संजय तिवारी, सुलतानपुर: लंभुआ तहसील के धनहुआ व जयसिंहपुर तहसील के कारेबन में चकबंदी अब नई विधि से होगी। इन दोनों गांवों का चयन पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किया गया है। इसी तरह गाजीपुर में दो, मऊ, बाराबंकी, प्रतापगढ़, अलीगढ़, शाहजहांपुर समेत अन्य जिलों के एक-एक गांव लिए गए हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ), ब्लाक चेन, हैंडहोल्ड डिवाइस, ड्रोन व रोवर सर्वे से कराई जाने वाली चकबंदी से भूमि का विवरण आनलाइन हो जाएगा। एक क्लिक में पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इन दोनों गांवों में शुरुआती सफलता मिलने के बाद प्रस्तावित अन्य गांवों में भी इसका उपयोग किया जाएगा।
संबंधित जिलों को जारी की गई गाइडलाइन
नई विज्ञानी विधि पर विशेष फोकस करते हुए चकबंदी आयुक्त नवीन कुमार की ओर से संबंधित जिलों को गाइड लाइन जारी की गई है।
उत्तर प्रदेश जोत अधिनियम- 1953 के अंतर्गत जोतों के संहतीकरण और नवीन अधिकार अभिलेख निर्माण प्रक्रिया के लिए प्रदेश के 378 गांवों में चकबंदी कराने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन 27 गांव अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिए गए हैं, जहां के लिए अलग -अलग कंपनियों को एआइ व ड्रोन रोवर विधि के प्रयोग से प्रक्रिया पूरी करने के लिए जिम्मेदारी दी गई है।
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इन कंपनियों को चकबंदी विभाग के अधिकारी सहयोग करेंगे। इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। जनपद में 34 गांवों में चकबंदी कराने के लिए सरकार से स्वीकृति मिली है। इन गांवों में दूसरे चक्र की चकबंदी होगी। कारेबन में औरियानप्रो सल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और धनहुआ में सेकान प्राइवेट लिमिटेड को आधुनिक विधि से चकबंदी का दायित्व शासन से सौंपा गया है।
यह होगा लाभ
एआइ, ड्रोन व रोवर विधि से खेतों का पूरा विवरण ऑनलाइन होने के बाद लोगों को नकल के लिए दौड़ना नहीं पड़ेगा। किसी भी कामन सर्विस सेंटर से उसे तुरंत निकाला जा सकेगा। पहले चकबंदी पूरी होने में चार से पांच वर्ष लग जाते थे। अब नई तकनीक से दो वर्ष लगेंगे। डिजिटल अभिलेखों के प्रयोग से त्रुटि की संभावना कम रहेगी। भू अभिलेखों का सत्यापन शीघ्र हो सकेगा।
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बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी अनिल कुमार पांडेय कहते हैं कि शासन से एआइ व ड्रोन रोवर तकनीक के उपयोग के लिए एजेंसियों का आवंटन हो गया है। शासन से निर्देश मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।