UP Lok Sabha Result: नेताओं की भितरघात ने मेनका गांधी को पहुंचाया नुकसान, लगातार दो बार जीत; फिर आखिर क्यों यहां हार गई भाजपा?
Sultanpur Election Result लोकसभा चुनाव में सपा ने भाजपा को 43 हजार 174 मतों से पटखनी देकर जीत दर्ज की। इस सीट पर भाजपा कुल पांच बार विजय दर्ज कर चुकी है। तीन बार रामलहर तो दो बार मोदी लहर में। 2014 के चुनाव में यहां से वरुण गांधी ने जीत दर्ज की थी। 2019 में उनकी मां मेनका गांधी ने विजय हासिल कर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा था।
अजय सिंह, सुलतानपुर। लगातार दो बार की जीत के बाद सुलतानपुर लोकसभा सीट से भाजपा अबकी बार क्यों हार गई? वह भी तब जबकि अयोध्या मंडल में यह सीट पार्टी सबसे मजबूत मान रही थी? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है। इसका सीधा जवाब भाजपा सपा के दांव में फंस गई। पीडीए फार्मूला कारगर रहा।
भाजपा चार सौ पार गई तो आरक्षण खत्म हो जाएगा। संविधान बदल दिया जाएगा। सपा व इंडी गठबंधन में शामिल नेताओं की ये बातें भी मतदाताओं के मन में बैठ गईं। जातीय मतों में सेंधमारी भी कामयाब रही।
पांच बार जीत चुकी है भाजपा
इस सीट पर भाजपा कुल पांच बार विजय दर्ज कर चुकी है। तीन बार रामलहर तो दो बार मोदी लहर में। 2014 के चुनाव में यहां से वरुण गांधी ने जीत दर्ज की थी। 2019 में उनकी मां मेनका गांधी ने विजय हासिल कर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा था। वहीं, वरुण मां की सीट पीलीभीत से लड़कर सांसद बने थे।अबकी बार पार्टी हाईकमान ने वरुण को टिकट न देने का मन बना लिया। उनकी जगह पर मेनका गांधी को पुरानी सीट पर वापस भेजने का दबाव भी ऊपर से बना, लेकिन वह यहीं से चुनाव लड़ने की बात पर अड़ी रहीं। आखिरकार पार्टी ने उन्हें टिकट तो दे दिया, लेकिन यहां से जो टिकट के दावेदार थे, उनका खास सहयोग पाने में विफल रहीं।
आम जनता में उनके कार्यों की तारीफ लोग करते हैं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता डांट-फटकार से असहज महसूस करते रहे। इसी के चलते पांच साल तक सांसद रहने के बावजूद क्षेत्र में उनका ऐसा नेटवर्क नहीं बन सका, जिसके जरिए चुनाव के दौरान सतत निगरानी की जा सके। साथ ही जातीय मतों का बिखराव रोका जा सके।
इतना ही नहीं, खुद मेनका, पार्टी के कर्ताधर्ता जीत मानकर चल रहे थे, यह अति आत्मविश्वास भी घातक साबित हुआ। टिकट मिलने के बाद कार्यकर्ताओं में उस तरह उत्साह नहीं नजर आ रहा था, जैसे पहले दिख रहा था। चुनाव अभियान के दौरान प्रत्याशी और पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय का अभाव भी दिखा।
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