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वरुण गांधी को नहीं म‍िला ट‍िकट तो क्‍या पुत्र मोह में बड़ा कदम उठाएंगी मेनका? सवाल के जवाब में सांसद ने कही ये बात

मेनका गांधी एक बार फिर सुलतानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगी। रविवार को इसकी घोषणा के साथ ही यह चर्चा भी तेज हो गई है कि यदि पार्टी वरुण गांधी को टिकट नहीं देती है तो पुत्र मोह में मेनका कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं। फोन पर हुई बातचीत में मेनका गांधी ने दो टूक शब्‍दों में इसका जवाब द‍िया है।

By Ajay Kumar Singh Edited By: Vinay Saxena Updated: Tue, 26 Mar 2024 01:50 PM (IST)
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वरुण गांधी के सवाल पर सांसद ने दो टूक शब्‍दों में द‍िया जवाब।
अजय कुमार स‍िंह, सुलतानपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान सांसद मेनका गांधी एक बार फिर सुलतानपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ेंगी। बीते रविवार को इसकी घोषणा कर दी गई। इसी के साथ ही तमाम अटकलों और चर्चाओं पर विराम लग गया है। हालांकि, इस बीच यह चर्चा भी तेज हो गई है कि यदि पार्टी वरुण गांधी को टिकट नहीं देती है तो पुत्र मोह में मेनका कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं।

चर्चा यह भी है कि वरुण को रायबरेली से मौका मिल सकता है। यदि ऐसा न हुआ तो वह आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़ सकते हैं या दूसरी पार्टी में जा सकते हैं। हालांकि, मंगलवार को फोन पर हुई बातचीत में मेनका गांधी ने दो टूक कहा कि ये सब अफवाह है। मैं अगले सोमवार यानि एक अप्रैल को सुलतानपुर आ रही हूं। प्रस्तुत है अजय सिंह की रिपोर्ट...

2019 के चुनाव के ठीक पहले यहां से सांसद रहे वरुण गांधी को पीलीभीत भेज दिया गया, जबकि वहां से मेनका गांधी को यहां लाया गया। यहां से मेनका चुनाव जीतकर आठवीं बार सांसद बनीं। वहीं, मां-बेटे को मौका देकर भाजपा लगातार जीत दोहराने में कामयाब रही। हालांकि, दोनों चुनावों में मोदी मैजिक की भी खास भूमिका रही। इस बार चुनाव की बेला आई तो यह चर्चा तेज हो गई की पार्टी शीर्ष नेतृत्व वरुण गांधी की गतिविधियों से नाराज है। इस कारण वह उन्हें चुनाव लड़ाने के मूड में नहीं है।

वहीं, पीलीभीत सीट से मेनका गांधी को चुनाव लड़ाया जा सकता है। सुलतानपुर सीट से कुर्मी बिरादरी के दावेदार को टिकट देकर भाजपा मंडल में जातिगत वोटों को सहेजने की जुगत में थी। लगातार पखवारेभार की चर्चाओं व अटकलों पर बीते रविवार की रात विराम तब लगा, जब भाजपा ने पार्टी प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। इसमें मेनका गांधी का नाम तो रहा, लेकिन वरुण को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका। वहीं, छह से अधिक टिकट के दावेदारों के मंसूबे पर पानी फिर गया।

पार्टी के जानकार बताते हैं कि मेनका गांधी को दूसरी बार टिकट इसलिए भी दिया गया कि वह बड़ा चेहरा हैं। इसी तरह का प्रयोग कर भाजपा इस सीट पर कामयाबी पाती रही। वहीं, दूसरा प्रमुख कारण जातिगत फैक्टर का प्रभावी न होना है। वहीं, क्षेत्र में सक्रियता और जनसमस्याओं के निदान के लिए मुखर रहना भी फायदेमंद रहा। कुल मिलाकर यदि वरुण का फैक्टर छोड़ दिया जाए तो मेनका की कोई ऐसी कमजाेर कड़ी नहीं थी, जिससे उन्हें पार्टी हाईकमान ना कह पाती।

गांवों में चौपाल का आयोजन हो या फिर बड़ी परियोजनाओं के लिए पैरवी, इसको लेकर एक सांसद के तौर पर मेनका गांधी की भूमिका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में किसी नए चेहरे पर दांव आजमाने का जोखिम उठाने के बजाय पार्टी नेतृत्व ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताया। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह निर्णय पार्टी के लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकता है। कारण, पिछड़ी जाति के वोटों को सहेजने की बड़ी चुनौती होगी।

सांसद प्रतिनिधि रणजीत कुमार कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने बेहतर काम और मेहनत पर एक बार फिर भरोसा जताया है। भाजपा प्रवक्ता विजय स‍िंह रघुवंशी का कहना है कि पार्टी के इस निर्णय से कार्यकर्ताओं में उत्साह और खुशी का माहौल है। मेनका गांधी सर्वमान्य नेता हैं। इस कारण पार्टी इस सीट पर हैट्रिक भी लगाएगी। 

2014 का परिणाम

वरुण गांधी- भाजपा- 4,10,348

पवन पांडेय - बसपा - 2,31446

शकील अहमद - सपा -2,28144

अमिता सिंह - कांग्रेस - 41,983

2019 का परिणाम

मेनका गांधी - भाजपा- 4,58,196

चंद्रभद्र सिंह सोनू - बसपा- 4,44,670

डॉ. संजय सिंह - कांग्रेस- 41,681

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