सोनू के फैसले से मेनका गांधी को टेंशन! कभी थे वरुण गांधी के खास, अब भाजपा के खिलाफ चल दी बड़ी चाल
पिछली बार बसपा से सुलतानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू मंगलवार को सपा में शामिल हो गए। उन्हें लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी में शामिल कराया। सोनू के सपा में शामिल होने से एक ओर जहां गठबंधन प्रत्याशी को मजबूती मिलेगी वहीं भाजपा प्रत्याशी व सांसद मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
संवाद सूत्र, सुलतानपुर। पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू ने समाजवादी पार्टी में शामिल होने के दूसरे दिन पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने कहा कि सपा की नीतियों से प्रभावित होकर, अंतरात्मा की आवाज पर यह निर्णय लिया है। उनका यह फैसला जिले के भावी विकास की संभावनाओं व भाईचारे को बढ़ावा देने में निर्णायक साबित होगा।
उन्होंने भाजपा सरकार पर तानाशाही, भ्रष्टाचार व कमजोर वर्ग के लोगों के साथ अन्याय का आरोप लगाया। पूर्व विधायक ने कहा कि वह पहले भी पार्टी में रह चुके हैं। मुलायम सिंह यादव उनके लिए अभिभावक के तौर पर थे और अखिलेश यादव से उनके अच्छे संबंध हैं।
अखिलेश की मौजूदगी में थामा सपा का हाथ
गौरतलब है कि पिछली बार बसपा से सुलतानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू मंगलवार को सपा में शामिल हो गए। उन्हें लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी में शामिल कराया। सोनू के सपा में शामिल होने से एक ओर जहां गठबंधन प्रत्याशी को मजबूती मिलेगी, वहीं भाजपा प्रत्याशी व सांसद मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।कारण, दो विधानसभा क्षेत्र में भद्र परिवार का खासा प्रभाव है। साथ ही क्षत्रिय बिरादरी में भी उनकी गहरी पैठ है। वर्ष 2002 में सपा के सिंबल पर इसौली विधानसभा सीट से जीत दर्ज चन्द्रभद्र सिंह पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 2007 में फिर सपा के टिकट पर विधायक बने थे। वर्ष 2009 में सपा से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में भी वह विजयी हुए थे। वर्ष 2012 आते-आते बसपा को अलविदा कह दिया और पीस पार्टी के बैनर तले सुलतानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। इसमें हार का सामना करना पड़ा।
2013 में बीजेपी में हुए शामिल
बदलते राजनीतिक रुख को भांपते हुए चन्द्रभद्र सिंह वर्ष 2013 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी की जीत में उनका अहम योगदान था। इस कारण उन्होंने चन्द्रभद्र को इसौली से अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया था। इसके बाद सोनू 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बसपा में शामिल हो गए। गठबंधन में यह सीट बसपा को मिली तो पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ाया। भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी से सोनू 14 हजार 526 मतों के अंतर से पराजित हो गए। कुछ दिनों से सोनू के भाजपा या सपा में जाने की चर्चा चल रही थी, जिस पर बुधवार को विराम लग गया। सोनू के पिता स्व. इन्द्रभद्र सिंह भी विधायक थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। वहीं, भाई यशभद्र सिंह मोनू प्रमुख रहे चुके हैं। साथ कई विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।
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