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एक चिकित्सक के भरोसे 1700 कर्मियों का इलाज

सुलतानपुर जंक्शन सहित तकरीबन 21 रेलवे स्टेशनों पर तैनात रेल कर्मियों उनके परिवारजनों सहित सेवा निवृत्त कर्मियों के उपचार की इस विभागीय अस्पताल में सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 13 Dec 2020 11:10 PM (IST)
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एक चिकित्सक के भरोसे 1700 कर्मियों का इलाज

सुलतानपुर : रेल कर्मियों और उनके परिवारजन के स्वास्थ्य की देखभाल और उनको उपचार देने वाला रेलवे का अस्पताल खुद बदहाल है। एक मात्र संविदा चिकित्सक और चार कर्मचारियों के भरोसे यह रेलवे अस्पताल चलाया जा रहा है। अस्पताल में न तो किसी तरह की जांच की व्यवस्था है न ही गंभीर रोगों के उपचार का प्रबंध है।

सुलतानपुर जंक्शन सहित तकरीबन 21 रेलवे स्टेशनों पर तैनात रेल कर्मियों उनके परिवारजनों सहित सेवा निवृत्त कर्मियों के उपचार की इस विभागीय अस्पताल में सिर्फ औपचारिकता पूरी की जा रही है। अस्पताल का क्षेत्राधिकार बहुत विस्तृत है। वाराणसी रूट पर श्रीकृष्णा नगर तक छह स्टेशन और लखनऊ रूट पर चौबीसी तक के आठ स्टेशनों के साथ प्रयागराज- अयोध्या रेलखंड के पांच स्टेशनों पर तैनात 2006 रेलकर्मियों और उनकी पत्नी व बच्चों के अतिरिक्त 700 से अधिक सेवानिवृत्त रेल कर्मियों के स्वास्थ्य की देखभाल व उपचार की जिम्मेदारी इसी केंद्र पर ही है। तकरीबन तीन साल से केंद्र पर विभाग के स्थाई चिकित्सक की तैनाती नहीं है। संविदा पर ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सुशील यहां रेलकर्मियों के मेडिकल संबंधी विभागीय कागजों पर हस्ताक्षर करने तक सिमटे हैं।

नहीं होती साफ सफाई : अस्पताल होने के बावजूद परिसर की नियमित साफ-सफाई तक नहीं होती है। एक चीफ फार्मसिस्ट के साथ तीन सहायक तैनात हैं। केंद्र पर उदासीनता की यह स्थिति है कि रेलकर्मी अब यहां आने से कतराने लगे हैं। सामान्य बुखार, जुखाम और चोट आदि लगने पर निदान के लिए आए कर्मी या उनके परिवारजन को कर्मचारियों की नामौजूदगी के चलते निराश होकर लौटना पड़ता है।

वर्जन

- स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ की तैनाती मंडल कार्यालय से की जाती है। रिक्त पदों की उन्हें सूचना है। रेल कर्मियों को उपचार में आने वाली दिक्कतों से संबंधित उच्चाधिकारियों को समय-समय पर अवगत कराया जाता है।

बीएस मीना, स्टेशन अधीक्षक

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