ट्रैक के पास मिली पटरियां तो नपेंगे इंजीनियर
जागरण संवाददाता, उन्नाव : आम्रपाली एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश के बाद ट्रैक के किनारे पड़
जागरण संवाददाता, उन्नाव : आम्रपाली एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश के बाद ट्रैक के किनारे पड़ी रहने वाली निष्प्रयोज्य पटरियों को लेकर रेल पथ विभाग सतर्क हो गया। सेक्शन इंजीनियर को इसके लिए निर्देशित करते हुए समय सीमा भी तय कर दी गई है। पुरानी पटरी व स्लीपर को एक सप्ताह में ट्रैक के किनारे से हटाकर स्टोर में रख दिया जाए। आपात स्थिति में पटरियों या स्लीपर के छोड़े जाने पर वह आरपीएफ के पहरे में रहेंगे।
पटरियों और स्लीपर के बदलाव में रेल पथ विभाग का कार्य हमेशा से सुस्त रहता है। इसकी पीछे की वजह रेलवे परिचालन विभाग से ब्लाक की मंजूरी समय पर न मिलना है। ऐसे में काम आगे की तिथियों में टल दिया जाता है। तब तक बदलने के लिए सेक्शन में पहुंचाए गए स्लीपर या पटरियां वहीं छोड़ दी जाती हैं। सेक्शन में बदलाव कार्य यदि हो भी जाए तो यहां टूटे-फूटे स्लीपर और जर्जर पटरियों को हटाने के लिए नीलामी का इंतजार किया जाता जबकि नियम कुछ और ही हैं। खराब सामग्री को रेल पथ विभाग के इंजीनियर स्टोर रूम में सुरक्षित कराते हैं। या फिर स्टेशन से सात मीटर की दूरी पर इसे सुरक्षित करते हैं। वहीं उन्नाव-गंगाघाट और सोनिक-जैतीपुर के मध्य यह नियम ताक पर रख दिए जाते हैं। इस मनमाने रवैये और लापरवाही की वजह से ही आम्रपाली एक्सप्रेस बुधवार देर रात ऋषि नगर केबिन के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बची थी। ट्रैक किनारे पड़े स्लीपर ही कारण बने। फिर कोई घटना न हो, इसके लिए पुराने नियमों को याद करते हुए ट्रैक को सुरक्षित करने का कार्य शुरू हुआ है।
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घटना के बाद पीडब्ल्यूआई सख्त
- पीडब्ल्यूआई विकास कुमार ने बताया कि सेक्शनों में खराब स्लीपर और ट्रैक को हटाते हुए सुरक्षित किया जा रहा है। उन्नाव सहित विभिन्न सेक्शन की जिम्मेदारी संभाल रहे जूनियर इंजीनियर को अलर्ट किया गया है। सात मीटर तक कोई भी पटरी का टुकड़ा या स्लीपर नजर नहीं आना चाहिए। उन्हें हटाने में देरी है तो सूचना दी जाए। ताकि, उनकी सुरक्षा आरपीएफ की मदद से सुनिश्चित कराई जा सके। गंगा रेलवे पुल से सरैया क्रा¨सग तक के ट्रैक को सुरक्षित करते हुए अन्य सेक्शनों में यह कार्य किया जा रहा है।