Move to Jagran APP

गंगा किनारे जैविक खेती ने बदल दी तस्वीर

जागरण संवाददाता उन्नाव जिले में गंगा किनारे के 64 गांवों में जैविक खेती की जा रही है। क

By JagranEdited By: Updated: Sat, 20 Feb 2021 09:55 PM (IST)
Hero Image
गंगा किनारे जैविक खेती ने बदल दी तस्वीर

जागरण संवाददाता, उन्नाव : जिले में गंगा किनारे के 64 गांवों में जैविक खेती की जा रही है। करीब 1760 हेक्टेयर में होने वाली किसानी का दिन-प्रतिदिन रकबा बढ़ रहा है। जैविक खाद और बीजों से खेत में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ रही है। इसी कारण कृषि विभाग अन्य जगहों पर भी जैविक खाद के उपयोग को लेकर जागरूकता फैला रहा है।

बताते हैं कि जब से जैविक खाद का उपयोग होना शुरू हुआ है। जिले की मृदा का जीवांश कार्बन 0.3 फीसद तक पहुंच गई है। जबकि, पहले यह 0.2 थी। जमीन परती हो रही थी जिससे खेती करना मुश्किल होने के साथ चुनौती भरा हो गया था। गोबर, गुड़, बेसन और डिकंपोजर लिक्विड के उपयोग ने जिले की खेती की तस्वीर बदलनी शुरू हो गई है। नमामि गंगे योजना के तहत 64 गांवों में जैविक खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। खास बात यह है कि यहां खेतों में गोबर, गुड़, गोमूत्र, बेसन से बनी खाद का ही उपयोग हो रहा है। सिकंदरपुर सिरोसी, गंगाघाट, पाटन, बीघापुर, परियर, बांगरमऊ, गंजमुरादाबाद में जैविक खेती की जा रही है। इसमें सबसे अधिक 32 गांव सिकंदरपुर सिरोसी के हैं। जहां फसल की पैदावार सामान्य से अधिक हो रही है। खासकर मूंगफली, केला, काला गेहूं की फसल किसान कर रहे हैं। जैविक खाद के उपयोग से जमीन के जीवांश कार्बन ने बढ़ना शुरू कर दिया है। 20 साल पहले जिले में खेतों का जीवांश कार्बन 1.3 फीसद था तो जो सन 2017 में 0.2 फीसद रह गया। इसके बाद शासन स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के निर्देश दिए गए, जिस पर जिले में गंगा कटरी के 64 गांवों को शामिल किया गया।

------

यूरिया से अधिक गोबर में नाइट्रोजन

किसान खेतों को नाइट्रोजन पहुंचाने के लिए यूरिया का उपयोग करते हैं, लेकिन खास बात यह है कि गोबर की खाद जब अधिक मात्रा में उपयोग की जाती है तो नाइट्रोजन की मात्रा 60 फीसद तक हो जाती है। इससे खेत में जीवांश कार्बन बढ़ते हैं। कटरी में जो भी खेती हो रही है उसमें गोबर का अधिक उपयोग होने से पैदावार के साथ जीवांश कार्बन 0.2 से बढ़कर 0.3 फीसद हो गया है।

---------------

जैविक खाद और खेती की जागरुकता फैलाने से जिले के किसान धीरे-धीरे रसायनिक खाद से दूर हो रहे हैं। यही कारण है कि जिले में खेतों का जीवांश कार्बन धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसे 0.8 फीसद के स्तर तक ले जाने का लक्ष्य है।

डॉ. नंद किशोर, उपकृषि निदेशक

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।