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पौधे के पेड़ बनने तक की यादें संजोने का शगल

पेड़ पर्यावरण को शुद्ध रखने के साथ मानव जीवन के लिये भी बेहद जरूरी होते हैं। वह हमें फल-फूल छाया और शुद्ध हवा तो देते ही हैं। इसके अलावा इनसे लोग अपनी व अपने से जुड़े लोगों की यादें भी जोड़ते हैं। कई लोग ऐसे हैं जो इन्हें अपनी स्मृतियों में संजोकर भी रखते हैं।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 14 Jul 2019 06:30 AM (IST)
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पौधे के पेड़ बनने तक की यादें संजोने का शगल

जागरण संवाददाता, उन्नाव : पौधरोपण करने में तो सभी आगे रहते हैं लेकिन दोबारा पौधों का हाल जानने नहीं आते। मगर, कई लोग पेड़ बनने तक पौधों की सेवा ही नहीं करते बल्कि उन्हें अपनी स्मृतियों में संजोकर भी रखते हैं। शहर के मोतीनगर निवासी शशांक शेखर की इस पहल के साथ उनके करीबी भी जुड़ गए हैं। वह खुद पौधे लगा संरक्षण करते ही हैं, सहयोगियों को पौधों को जीवित रखने के संसाधन भी उपलब्ध कराते। यही नहीं, समय-समय पर पौधे के साथ सेल्फी भी मंगवाते हैं।

35 वर्षीय शशांक शेखर ने बताया कि पौधों से उनका लगाव बचपन से ही है। घर की छत पर गमलों में लगे पौधों को पानी देना और उनकी सेवा करना काफी अच्छा लगता था। कॉलेज के दिनों से ही वह पौधे लगा उनकी सेवा करने लगे। यह देख कई साथी उनसे जुड़ गए। वह खाली पड़ी सरकारी जमीन, रोड किनारे व घरों के सामने पौधे रोपित करा रहे हैं। शशांक बताते हैं कि गत्ते के व्यापार में व्यस्त रहने के बावजूद रोजाना एक घंटे पौधों की सेवा करते हैं।

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दर्जनों पौधे बन गए पेड़

शशांक बताते हैं कि उन्होंने अब तक सैकड़ों पौधे लगाए हैं। उनके लगाए दर्जनों पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। उनके सहयोगी भी सौ से अधिक पौधे रोपित कर उनकी सेवा कर रहे हैं।

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दस साल से बढ़ रहा कारवां

पौधों के पेड़ बनने तक की यात्रा को यादों में संजोने की इस मुहिम में नीरज त्रिवेदी, मुन्ना सिद्दिकी, अस्करी जैदी, निक्की गुप्ता, अली मेहंदी, ऋषि चोपड़ा व नीरज शर्मा सहित दर्जनों युवा शामिल हैं। दस साल की इस यात्रा में हर वर्ष युवाओं की संख्या बढ़ रही है।

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