Unnao Accident Inside Story: 'मेरे मम्मी-पापा और…, कोई मिला दो', हादसे में उजड़ गया पूरा परिवार; बचे लोगों ने सुनाई आपबीती
Unnao Accident बिहार से नई दिल्ली जा रही स्लीपर बस में बैठे 55 यात्री करीब 550 किमी का सफर तय कर चुके थे। सभी चैन की नींद सो रहे थे। लेकिन अचानक ऐसा कुछ हुआ कि कुछ जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। चालक की सीट की ओर जो जैसे लेटा और बैठा था वैसे ही बस के मलबे में दब गया।
जागरण संवाददाता, उन्नाव। Unnao Bus Accident News: बस हादसे में एक 17 वर्षीय किशोर को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। दर्द से कराह रहे इस किशोर ने अपना नाम दिलशाद बताया। हादसे के बाद उसकी वेदना आंखों से आंसू बनकर बह रही थी।
बोला वह बिहार के पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) के गांव फिनहारा का मूल निवासी है। कई साल से पिता अशफाक, मां मुनचुन उर्फ रूबी, छोटे भाई साहिल, सुहेल, बहन गुलनाज व चाचा-चाची के साथ मेरठ के मोदीपुर क्षेत्र के दोड़ाली कस्बा में किराए का मकान लेकर रह रहा था। पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं।
मंगलवार को बिहार से मेरठ के लिए था निकला परिवार
बिहार स्थित गांव में उसकी कुछ जमीन है। जहां नए मकान का निर्माण कराने के लिए 14 जून को वह पूरे परिवार के साथ बिहार गया था। मकान का लिंटर पड़ने के बाद मंगलवार शाम वह परिवार के साथ बस से मेरठ के लिए निकला था। इसके बाद हादसा हो गया।वह बार-बार अपने माता-पिता व दो सुहैल, बहन व चाचा-चाची को देखने की इच्छा जता रहा था। वह इस बात से बिल्कुल अन्जान था कि बस हादसे ने एक तीन वर्षीय भाई साहिल को छोड़ पूरे परिवार को निगल लिया। शाम करीब छह बजे पहचान के लिए पुलिस उसे पोस्टमार्टम हाउस ले जाया गया, जहां सभी के शव देख वह गश खाकर गिर गया। पुलिस ने उसे संभाला और पहचान करवा फिर से जिला अस्पताल में भर्ती कराया।
मां का आंचल बना कवच, बच गई मासूम सनाया की जान
बस में बिहार के सिगौली मुलहारी के आमिर खान गांव निवासी शबाना ने बताया कि पति शहजादे की मौत के बाद वह अपनी 20 वर्षीय बेटी नगमा, बहू चांदनी के साथ करीब 20 साल से नई दिल्ली के फजलपुरा गामरी में किराए का कमरा लेकर रह रही है और बर्तन धोकर व झाड़ू-पोछा कर गुजारा चलाती है।बेटी चांदनी के लिए उसने बिहार के पूर्वी चंपारण के जिधारा में रिश्ता देखा था। रिश्ते की बात पक्की करने एक सप्ताह पहले बेटी बहू के साथ गांव आई थी। एक साल के अंदर शादी की बात पक्की होने पर वह मंगलवार को फिर से बस से दिल्ली के लिए चली थी।
बहू की गोद में नौ माह की पौत्री सनाया थी। बस हादसे के बाद सनाया बाल-बाल बच गई। अन्य सभी घायल हो गए। जिला अस्पताल में सनाया की मां बिस्तर पर लेटी थी, जबकि दादी शबाना उसे गोद में लिए थी। बच्ची को देख स्टाफ नर्स ने नई बोतल और दूध मंगा उसे पिलाया। शबाना की बात सुन हर कोई यही कहता रहा कि मां चांदनी का आंचल बच्ची के लिए सुरक्षा कवच बन गया।
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