'मैं बचूंगा नहीं, मेरी मौत के जिम्मेदार...', पुलिस अधिकारी की प्रताड़ना से परेशान युवक ने SP ऑफिस में खुद को लगाई आग
श्रीचंद्र ने आरोप लगाया कि सीओ पुरवा दीपक सिंह ने रुपये लेकर विपक्षियों का पूरा साथ देकर उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। एसपी दफ्तर से जिला अस्पताल तक श्रीचंद्र बार-बार सीओ पुरवा को दोषी बताता रहा। जिला अस्पताल में उसने सदर कोतवाल प्रमोद मिश्र से कहा कि पंजाब में रहने वाले भाई फूलचंद्र से वीडियो कॉल पर बात कराओ।
जागरण संवाददाता, उन्नाव। नवंबर माह की समीक्षा में आईजीआएस की शिकायतों के निस्तारण में खुद को प्रदेश में अव्वल बताने वाले उन्नाव पुलिस की बुधवार को कलई खुल गई। पुरवा के भूलेमऊ गांव निवासी दलित श्रीचंद्र व उसके परिवार को पुलिस ने इस कदर परेशान किया कि वह खुद को फूंकने पर विवश हो गया। जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे श्रीचंद्र ने बताया कि उसने सीएम से लेकर पुलिस के हर उच्चाधिकारी की चौखट पर माथा टेका, आईजीआरएस पर शिकायत की पर पुलिस ने गोलमोल रिपोर्ट लगा उसे आत्मदाह करने पर मजबूर कर दिया।
श्रीचंद्र ने आरोप लगाया कि सीओ पुरवा दीपक सिंह ने रुपये लेकर विपक्षियों का पूरा साथ देकर उसे मौत के मुंह में धकेल दिया। एसपी दफ्तर से जिला अस्पताल तक श्रीचंद्र बार-बार सीओ पुरवा को दोषी बताता रहा। जिला अस्पताल में उसने सदर कोतवाल प्रमोद मिश्र से कहा कि पंजाब में रहने वाले भाई फूलचंद्र से वीडियो कॉल पर बात कराओ।बात हुई तो भाई का चेहरा देखते ही चीखते हुए कहा कि भईया मैं बचूंगा नहीं, मौत हो गई तो इसके जिम्मेदार पुरवा सीओ व अन्य सभी अधिकारी होंगे। किसी को छोड़ना नहीं। बोला क्या रिश्वत इंसान की जान से ज्यादा कीमती है। बड़ा भाई उसकी बात सुनकर वह हालत देख फूट-फूटकर रो पड़ा।
पांच दिन बाद पुलिस ने लिखा क्रॉस मुकदमा
बड़े भाई मूलचंद्र ने बताया कि पुरवा पुलिस विपक्षियों से मिली है। सीओ पुरवा ने विपक्षियों से रुपये लेकर पांच दिन बाद उस पर व भाई श्रीचंद्र के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों पर विपक्ष की महिला से तहरीर लेकर मुकदमा लिखवा दिया। इतना ही नहीं उस पर कुल्हाड़ी से हमला करने वालों के नाम रुपये लेकर निकाल दिए। गिरफ्तारी के नाम पर एक का शांतिभंग में चालान किया। कार्रवाई की जगह सीओ पुरवा सुलह का दबाव बना रहे थे।
कप्तान नहीं आए, उन्हें बुलाओ
आग लगाने के बाद भी श्रीचंद्र के अंदर पुलिस के प्रति गुस्सा था। डाक्टर उसका इलाज करने के लिए जैसे ही आगे आते, चीखते हुए बोलता मेरा इलाज मत करो। पहले कप्तान को बुलाओ। कप्तान के आने के बाद ही इलाज कराऊंगा। तीन की छुट्टी पर गए कप्तान सिद्धार्थ शंकर मीना की जगह एएसपी अखिलेश सिंह अस्पताल पहुंचे। वह बार-बार कहता रहा मेरा चेहरा कैसा था, अब कैसा हो गया। यह सब पुलिस की वजह से हुआ है।मेन गेट की जगह पीछे के गेट से घुसा श्रीचंद्र
एसपी कार्यालय गेट पर आने वाले फरियादियों की पहले रजिस्टर में इंट्री होती है। इसके बाद उन्हें प्रवेश दिया जाता है। श्रीचंद्र शिकायत लेकर पहले कई बार आ चुका था। सुनवाई न होने पर वह बुधवार दोपहर वह एसपी दफ्तर के पीछे के गेट से बोतल में केरोसिन लेकर अंदर घुसा। सीओ सिटी के केबिन के बाहर पहुंचा और झट से खुद पर केरोसिन उड़ेल कर माचिस की तीली जला आग लगा ली। उसे जलता देख एएसपी अखिलेश सिंह व सीओ सिटी आशुतोष केबिन से बाहर आ गए और बचाने की कोशिश में जुट गए।
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