वाराणसी के बायो गैस प्लांट से पहली बार गेल को भेजी गई 400 किलो गैस, खाद का भी होगा उत्पादन
बायो गैस प्लांट शहंशाहपुर से पहली बार 400 किलोग्राम गैस गेल इंडिया लिमिटेड पिंडरा को भेजी गई। पहली गाड़ी के निकलने के दौरान गांव के किसानों महिलाओं व बच्चों ने पूजा पाठ की। इसके बाद गाड़ी को रवाना किया गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : बायो गैस प्लांट शहंशाहपुर से पहली बार 400 किलोग्राम गैस गेल इंडिया लिमिटेड, पिंडरा को भेजी गई। पहली गाड़ी के निकलने के दौरान गांव के किसानों, महिलाओं व बच्चों ने पूजा पाठ की। इसके बाद गाड़ी को रवाना किया गया। इस दौरान अदाणी फाउंडेशन व स्किल डेवलपमेंट की टीम मौजूद रही।
लगभग दस एकड़ क्षेत्र में 23 करोड़ की लागत से निर्मित इस प्लांट का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अक्टूबर 2021 को किया था। भारत बायोगैस एनर्जी लिमिटेड (बीबीईएल) इस प्लांट पर लंबे समय से कार्य कर रही है। ट्रायल में पांच सौ किलोग्राम गैस का निर्माण हुआ था। इसके बाद से इसकी मार्केटिंग को लेकर प्रयास किया जा रहा है।
प्लांट के अधिकारी गेल इंडिया लिमिटेड के अलावा परिवार ब्रेड, रामनगर में स्थापित कई प्लांट से आपूर्ति को लेकर प्रयासरत हैं। इसके अलावा बाजार में उतारने की तैयारी चल रही है।
बायो प्रोडक्ट से बनी गैस सीएनजी से सस्ती
बायो गैस कचरा यानी प्रेसमड बगास के अलावा पशुपालकों से प्राप्त गोबर आदि से बन रहा है। दावा यह भी किया जा रहा है कि इसकी गुणवत्ता अच्छी है। सीएनजी से यह सस्ती भी है। बायो गैस सीएनजी स्टेशन को भेजने की बात है। प्लांट से खाद का भी निर्माण होना है। इसकी भी तैयारी चल रही है।
बाजार में डिमांड के बाद पूरी क्षमता से चलेगा प्लांट
प्लांट से जुड़े लोगों का कहना है कि बाजार में बायोगैस की डिमांड को देखते हुए उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इसकी क्षमता 3150 किलोग्राम प्रतिदिन सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस ) उत्पादन की है। प्लांट जब पूरी क्षमता के साथ चलने लगेगा तो हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही गोबर की डिमांड भी बढ़ेगी। किसानों से प्रति किलो एक रुपये की दर से गोबर लेने की बात तय है।
ट्रायल में पांच सौ किलोग्राम गैस का उत्पादन हुआ था। बाजार में बिक्री के लिए कई कंपनियों से बात हुई है। गेल को पहली बार गैस भेजा जाना उपलब्धि है। आगे इसको और बाजार मिलेगा। इसकी कोशिश जारी है।
डा. अजय प्रताप सिंह, बायो गैस प्लांट के निदेशक