वाराणसी के स्वर्वेद महामंदिर धाम की दीवारों पर उर्त्कीण 4000 दोहे, अस्सी हजार वर्ग फीट क्षेत्र में निर्माण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वर्वेद महामंदिर धाम उमरहां पहुंचकर विशाल साधना केंद्र व विहंगम योग के प्रणेता सद़गुरु सदाफलदेव जी महाराज को नमन किया। महामंदिर धाम में विहंगम योग के प्रणेता सद़गुरु की अमूल्य कृति ‘स्वर्वेद’ के 4000 दोहे मकराना संगमरमर की दीवारों पर उत्कीर्ण है।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 14 Dec 2021 10:10 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय काशी यात्रा के अंतिम दिन मंगलवार को स्वर्वेद महामंदिर धाम, उमरहां पहुंचकर विशाल साधना केंद्र व विहंगम योग के प्रणेता सद़गुरु सदाफलदेव जी महाराज को नमन किया।
महामंदिर धाम में विहंगम योग के प्रणेता सद़गुरु की अमूल्य कृति ‘स्वर्वेद’ के 4000 दोहे मकराना संगमरमर की दीवारों पर उत्कीर्ण है। इसमें ‘सदगुरु संतन सेइए, फिर पीछे सत्संग, बोध भेद उपदेश है, साधन अगम असम’ समेत कई चर्चित दोहे हैं। आधुनिक तकनीकी और प्राचीन स्थापत्य कला से संवारे गए इस महामंदिर में बीस हजार से अधिक साधक बैठ सकते हैं।
अस्सी हजार वर्ग फीट क्षेत्र में निर्माण
महामंदिर का निर्माण 2014 से शुरू हुआ, जो अभी जारी है। कमल के फूल के आकार में निर्माणाधीन 180 फीट के सात मंजिला महामंदिर में दो अत्याधुनिक सभागार है। लगभग ढाई लाख वर्ग फीट क्षेत्रफल में 80 हजार वर्ग फीट पर निर्माण हुआ है। महामंदिर में 135 फीट ऊंची सद्गुरु की सैंड स्टोन की प्रतिमा है।
आत्मा व परमात्मा का बोध ही स्वर्वेद
स्वर्वेद दो शब्दों से मिलकर बना है। स्व: और वेद। स्व: का अर्थ है आत्मा और वेद का अर्थ है ज्ञान। आत्मा व परमात्मा का यथार्थ बोध होना ही स्वर्वेद है। महामंदिर विहंगम योग ध्यान साधना का केंद्र है। विहंगम योग धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
संस्था का उद्देश्य मानवता की सेवाविहंगम योग के अलावा संस्थान का मुख्य कार्य मानवता की सेवा है। इसके अलावा गो सेवा, दिव्यांगों व असहाय जनों की सेवा, युवाओं को निश्शुल्क रोजगार प्रशिक्षण, प्रतिदिन हजारों को लोगों को निश्शुल्क भोजन की व्यवस्था करने के अलावा भारतीय संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन मुख्य कार्य है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।