सावन इस बार 22 जुलाई को सोमवार को शुरू हुआ और इसका समापन भी सोमवार को हुआ। शिव भक्तों को बाबा के विशेष पूजन के लिए पांच सोमवार मिले। इस बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में 54 लाख 22 हजार 756 श्रद्धालुओं ने बाबा का दर्शन व जलाभिषेक किया। अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन के विशिष्ट संयोग में 2 लाख से अधिक लोगों ने काशीपुराधिपति को शीश नवाया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। देवाधिदेव महादेव को प्रिय सावन मास में इस बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में 54 लाख 22 हजार 756 श्रद्धालुओं ने बाबा का दर्शन व जलाभिषेक किया। इसमें सावन पूर्णिमा पर अंतिम सोमवार और रक्षाबंधन के विशिष्ट संयोग में 2,02,756 भक्तों ने काशीपुराधिपति को शीश नवाया।
सावन इस बार 22 जुलाई को सोमवार को शुरू हुआ और इसका समापन भी सोमवार को हुआ। इस तरह शिव भक्तों को बाबा के विशेष पूजन के लिए पांच सोमवार मिले।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में हर सोमवार बाबा का अलग-अलग स्वरूप में शृंगार की परंपरा है। इससे भक्तों को पांच स्वरूपों में बाबा की शृंगार झांकी के दर्शन हुए।
इसमें पहले सोमवार को बाबा की चल प्रतिमा का शृंगार, दूसरे सोमवार को गौरी शंकर स्वरूप का शृंगार, तीसरे सोमवार को अर्धनारीश्वर स्वरूप का शृंगार, चौथे सोमवार को रुद्राक्ष झांकी सजी तो सावन पूर्णिमा पर शिव परिवार की शोभायात्रा निकाल कर झूला शृंगार किया गया। मंदिर प्रशासन ने इस बार महंत परिवार की बजाय स्वयं अपनी प्रतिमा व झूला की व्यवस्था कर संपूर्ण संयोजन किया।
इस बार सावन में खास यह भी रहा कि काशीवासियों को बाबा के दर्शन-पूजन के लिए विशेष द्वार मिल गया। साथ ही भक्तों की सुविधा के लिए छह द्वारों से दर्शन-पूजन के प्रवेश की व्यवस्था की गई।
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