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नई दिल्‍ली में नए संसद भवन सेंट्रल विस्‍टा की छत पर राष्‍ट्रीय प्रतीक पर बने शेर और सारनाथ में मौजूद असली प्रतीक को लेकर छिड़ी सियासी जंग, पढ़ें पूरा विवाद...

नई दिल्‍ली में बन रहे नए संसद भवन यानी सेंट्रल विस्‍टा की छत पर राष्‍ट्रीय प्रतीक पर बने शेर के हिंसक होने और सारनाथ में मौजूद असली प्रतीक वाले शेकर के सौम्‍य होने को लेकर छिड़ी सियासी जंग खूब चर्चा में है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Wed, 13 Jul 2022 03:57 PM (IST)
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सेंट्रल विस्‍टा और सारनाथ में मौजूद राष्‍ट्रीय प्रतीक।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। नई दिल्‍ली में बन रहे नए संसद भवन यानी सेंट्रल विस्‍टा की छत पर बने राष्‍ट्रीय प्रतीक यानी अशोक की लाट पर बने सिं‍ह शीर्ष के हिंसक होने और सारनाथ में मौजूद असली प्रतीक वाले शेकर के सौम्‍य होने को लेकर छिड़ी सियासी जंग इन दिनों खूब चर्चा में है। इसको लेकर अब सारनाथ में असली कृति को लेकर भी लोग अब सारनाथ में जाकर संग्रहालय में मौजूद अशोक की लाट को खूब करीब से निहार कर शेर की प्रवृत्ति को परख रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी भी सारनाथ के अशोक की लाट को देखने पहुंचीं और करीब से निहारा। 

दरअसल सेंट्रल विस्‍टा यानी कि नई दिल्‍ली में बन रहा नया संसद भवन को काफी भव्‍य बनाने के क्रम में उसकी छत पर भारी भरकम राष्‍ट्रीय प्रतीक यानी सारनाथ में मौजूद अशोक की लाट यानि सिंह‍ शीर्ष को स्‍थापित किया गया है। सिंह शीर्ष का पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने दो दिन पूर्व अनावरण किया तो लोगों के बीच यह प्रतीक चर्चा में आ गया। दरअसल यह मूल रचना से कहीं अधिक यानी कई गुना भारी भरकम होने की वजह से लोगों के बीच वायरल होने लगा। विपक्षी दलों ही नहीं सोशल मीडिया पर भी इस प्रकरण को लेकर सवाल उठने लगे कि आखिर यह शेर हिंसक क्‍यों नजर आ रहा है। जबकि सारनाथ में मौजूद असली शेर हिंसक न हो कर काफी सौम्‍य है। 

केन्‍द्रीय राज्‍य मंत्री मीनाक्षी लेखी भी बुधवार को सारनाथ संग्रहालय पहुंचीं और विवाद के बीच अशोक की लाट को करीब से निहारा।सारनाथ में राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का अवलोकन करने के बाद केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने दैनिक जागरण को बताया कि जो लोग नए संसद भवन के शेरों की सूरत पर विवाद कर रहे हैं, वे पहले सारनाथ आकर यहां मूलकृति को देखें। उनकी धारणा बदल जाएगी। मीनाक्षी लेखी अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की ओर से आयोजित धम्म चक्र परिवर्तन दिवस के विशेष आयोजन और विश्व शांति के लिए प्रार्थना में शामिल होने सारनाथ बुधवार को पहुंचीं थीं।

दरअसल नए संसद भवन में बने इस शीर्ष को लेकर विपक्षी दल सम्राट अशोक की लाट के मोहक और राजसी स्‍वरूप वाले शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के स्वरूप को बदलने का आरोप सत्‍ता पक्ष पर लगाया है। इन आरोपों पर भारतीय जनता पाटी की ओर से पलटवार कर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को निशाना बनाने की एक और विपक्ष की साजिश करार दिया है। इसके बाद से ही राष्‍ट्रीय प्रतीक के हिंसक और सौम्‍य छवि को लेकर विवाद की स्थिति है और सोशल मीडिया से लेकर सियासी लोगों के बीच शेर की छवि चर्चा में बनी हुई है।

महुआ मोइत्रा और जयराम रमेश ने उठाई आप‍त्ति : कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश के अलावा तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने इस प्रतीक को लेकर सरकार को घेरा है। जहां जयराम रमेश ने सारनाथ स्थित अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदल देने को लेकर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान का आरोप भाजपा पर लगाया है वहीं तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने सत्यमेव जयते से संघीमेव जयते की भावना पूरी होने की कटाक्ष भाजपा पर लगाया है। इसके बाद से ही सियासी वाद विवाद का दौर जो शुरू हुआ वह अब थमने का नाम नहीं ले रहा है।

देश में लगातार उठ रहे सवाल : एक ओर इतिहासकार इरफान हबीब ने भी नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक को क्रूर और हिंसक बताया है तो दूसरी ओर प्रशांत भूषण ने राष्ट्रीय प्रतीक को पीएम नरेन्‍द्र मोदी के नए भारत की तस्‍वीर का प्रतीक कहकर विवाद को हवा दी है। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सोशल मीडिया पर इसे सारनाथ वाले शेर की जगह गिर का शेर होने की बात कहकर सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करने के साथ इसमें व्‍यापक सुधार की सरकार से अपील की है।

मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने किया स्‍पष्‍ट : शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक बयान में स्‍पष्‍ट किया है कि सारनाथ के राष्ट्रीय प्रतीक के कद को बड़ा कर दिया जाए और नए वाले संसद भवन पर बने प्रतीक को छोटा कर दें तो दोनों एक समान होंगे। सारनाथ में मूल प्रतीक 1.6 मीटर और नए संसद भवन में बना प्रतीक 6.5 मीटर का है। ऐसे में दोनों ही प्रतीकों में आपस में कोई तुलना की ही नहीं जा सकती है।

जानिए क्‍या है नया संसद भवन : पुराने संसद भवन की स्थिरता की चिंताओं के कारण 2010 मेंमौजूदा भवन को बदलने के लिए नए संसद भवन के प्रस्ताव के लिए एक समिति की स्थापना तत्कालीन अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2012 में की थी। भारत सरकार ने 2019 में एक नए संसद भवन के निर्माण के साथ प्रधानमंत्री के लिए नया कार्यालय और संसद भवन की संकल्‍पना के साथ सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना शुरू हुई। नए भवन के लिए भूनिर्माण अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ और 10 दिसंबर 2020 को पीएम द्वारा आधारशिला रखी गई थी।

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