UP: बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी के शम्मे हुसैनी अस्पताल पर चला प्रशासन का बुल्डोजर
गाजीपुर शम्मे हुसैनी अस्पताल को गिराने के लिए जिले के सभी एसडीएम कई थानों की फोर्स शनिवार की सुबह से ही मौजूद रही। मुख्तार के अति करीबी मो. आजम के इस अस्पताल को गिराने का निर्देश आने के बाद प्रशासन शनिवार सुबह मौके पर पहुंचा और कार्रवाई शुरू की।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:06 PM (IST)
गाजीपुर, जेएनएन। शम्मे हुसैनी अस्पताल को गिराने के लिए जिले के सभी एसडीएम, कई थानों की फोर्स शनिवार की सुबह से ही मौजूद रही। मुख्तार के अति करीबी मो. आजम के इस अस्पताल को गिराने का निर्देश आने के बाद जिला प्रशासन शनिवार सुबह मौके पर पहुंचा और कार्रवाई शुरू की। दोपहर तक अस्पताल का काफी हिस्सा प्रशासन के देख रेख में गिरा दिया गया। इस दौरान सुरक्षा के लिए भी काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती रही। जिसकी वजह से विरोध के कहीं कोई स्वर नजर नहीं आए।
मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के करीबी मो. आजम द्वारा शहर कोतवाली के हमीद सेतु के पास व गंगा के ठीक किनारे बनाये गए शम्मे हुसैनी अस्पताल पर शनिवार की सुबह बजे प्रशासन का बुल्डोजर चलना शुरू हुआ। एक पोकलेन और दो जेसीबी द्वारा सुबह करीब नौ बजे से ध्वस्तीकरण का कार्य किया जा रहा है। इस दौरान एडीएम राजेश कुमार सिंह, सदर एसडीएम प्रभास कुमार, जमानियां एसडीएम सत्यप्रिय सिंह, जखनियां एसडीएम सूरज कुमार यादव, सीओ सिटी ओजस्वी चावला, सीओ सैदपुर राजीव द्विवेदी सहित जिले के 10 थानों की फोर्स लगी हुई है।
यह अस्पताल सभी मानकों को ताख पर रखकर बनाया गया है। सदर एसडीएम ने बीते 8 अक्टूबर को ही गिराने का आदेश दे दिया था। इसी बीच अस्पताल के संचालक हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट के आदेश पर संचालक ने डीएम के यहां अपील की थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बोर्ड ने अपील को खारिज कर दिया। इसके बाद से ही सम्बन्धितों में खलबली मच गयी और रात में ही अस्पताल के सभी मरीजों को मौके से हटा दिया गया। सुबह तक सभी सामान को खाली किया जा रहा था। पूरी तरह खाली करने के बाद ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया गया। एक आंकड़े के अनुसार इस अस्पताल को करीब 70 से 80 करोड़ रुपये लगे थे।
मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के अति करीबी मो. आजम द्वारा करीब हमीद सेतु के पास व गंगा के ठीक किनारे अवैध तरीके से बनाए गए तीन मंजिले शम्मे हुसैनी अस्ताल एवं ट्रामा सेंटर को शनिवार को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। तीन पोकलैंड और आधा दर्जन जेसीबी इसे ढहाने में लगीं रहीं। जिले में मुख्तार अंसारी के करीबी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। इससे संबंधितों में खलबली मची रही।
एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार गंगा किनारे 200 मीटर एरिया में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। वहीं जिस स्थान पर यह अस्पताल बना था, उसका गाजीपुर के मास्टर प्लान के अनुसार कोई कामार्शियल प्रयोग नहीं होना चाहिए। सदर एसडीएम की कोर्ट ने बीते आठ अक्टूबर को एक सप्ताह का समय देते हुए ध्वस्त करने का आदेश सुनाया। इसके बाद अस्पताल के संचालक हाइकोर्ट चले गए। यहां से उन्हें जिलाधिकारी के यहां अपील करने का आदेश दिया गया। तब से इस पर निगाहें लगीं थीं।
यह रहा घटनाक्रमबीते आठ अक्टूबर को एसडीएम सदर ने अस्पताल ढहाने का फैसला सुनाते हुए एक सप्ताह की इसे खुद से गिराने की मोहलत दी। हाइकोर्ट ने के आदेश पर मालिकान द्वारा गत 12 अक्टूबर को अपील दाखिल की गई। शुक्रवार की देर शाम सुनवाई के दौरान डीएम की अगुवाई वाली बोर्ड ने अपील खारिज कर दी। इसके तहत शनिवार की तड़के 10 थानों की फोर्स, पोकलैंड, जेसीबी ट्रैक्टर लेकर जिला प्रशासन अस्पताल पहुंच गए। नौ बजते ही अस्पताल को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। तमाशबीनों की भीड़ लगी रही।
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