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बाबा और भक्तों के बाद काशी में कोतवाल ने उड़ाए रंग-गुलाल, होली के दूसरे दिन पुलिसकर्मियों ने खेली होली

पर्व-उत्सवों के रसिया शहर बनारस में खूब जमा होली का रंग। रंगभरी एकादशी से लेकर पर्व विशेष तक बनारसी मन इसमें डूबा-उतराया तो शनिवार को पुलिसकर्मियों ने थानों में जम कर होली खेली। एक-दूसरे को रंगों में भिगोया तो अफसरों को भी रंगा-रंग किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sat, 19 Mar 2022 10:16 PM (IST)
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मंदिर में भक्तों ने पुलिस की वर्दी में सजावट किया था।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : पर्व-उत्सवों के रसिया शहर बनारस में खूब जमा होली का रंग। रंगभरी एकादशी से लेकर पर्व विशेष तक बनारसी मन इसमें डूबा-उतराया तो शनिवार को पुलिसकर्मियों ने थानों में जम कर होली खेली। एक-दूसरे को रंगों में भिगोया तो अफसरों को भी रंगा-रंग किया।

वास्तव में काशी में होली हुड़दंग तो बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के गौना महोत्सव यानी रंगभरी एकादशी पर भोले शंकर को अबीर गुलाल समर्पित कर ही शुरू हो गई। पूर्णिमा पर मान-विधान के तहत होलिका दहन के साथ इसका रंग चटख हो गया। अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर अबीर-गुलाल और रंगों के बीच शहर बनारस का अंदाज और मिजाज निखर कर छलका जो शाम तक चला।

इस बीच जुमा का नमाज और रात में शब-ए-बरात की भीड़ को लेकर भी पुलिस चाक-चौबंद नजर आई। यह सब सकुशल बीता तो शनिवार को पुलिस फुर्सत में आई। कर्तव्य के बाद पुलिसिया मन उत्सवी रंग में आया। गांव से लेकर शहर और पुलिस लाइन से लेकर अफसरों के दफ्तरों तक इसकी ही रंगत नजर आई। कोतवाली थाने में तो मुख्य कुर्सी पर विराजमान काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव को अबीर-गुलाल समर्पित कर पर्व मनाया गया। बाबा कालभैरव को काशी में कोतवाल की मान्यता प्राप्त है। अभी पिछले दिनों इसी मान के तहत बाबा कालभैरव का उनके मंदिर में भक्तों ने पुलिस की वर्दी में सजावट किया था।

बाबा कालभैरव काशी के कोतवाल माने जाते हैं। काशी में उनकी इच्छा के बगैर कोई प्रवेश नहीं पाता। उनकी अनुमति के बाद ही देवाधिदेव महादेव के पास पूजन-अर्चन स्वीकार हो पाता है। बाबा का उनके असल कोतवाल स्वरूप में शृंगार कर प्रधानमंत्री की सुरक्षा और दीर्घायु की गुहार लगाई गई। पंजाब में उनका काफिला रोके जाने का मामला भी जनसुनवाई के लिए काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के सामने रखा गया। बाबा से समस्त देशवासियों की कोरोना से रक्षा करने की भी कामना की गई। अनूठे शृंगार की झांकी दर्शन के लिए रात तक श्रद्धालु उमड़ते रहे।

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