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Ramnagar Ki Ramlila : दशानन का वध कर मर्यादा पुरुषोत्तम ने फहराई विजय पताका, शानो-शौकत के साथ निकली शाही सवारी

राज मद व अहंकार में डूबे रावण का अंततः श्रीराम ने वध कर देवगणों व ऋषियों को रावण के राक्षसी राज से मुक्ति दिलाई। अवतारी प्रभु श्रीराम ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में अपनी मानवीय लीला से लोगों को यह विश्वास दिलाया कि धर्म की सर्वदा विजय होती है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag SinghUpdated: Tue, 04 Oct 2022 08:26 PM (IST)
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रामनगर : राम रावण युद्ध से पहले लीला स्थल पर बैठे हुए प्रभु श्री राम और लक्ष्मण।
वाराणसी, संजय यादव। राज मद व अहंकार में डूबे रावण का अंततः श्रीराम ने वध कर देवगणों व ऋषियों को रावण के राक्षसी राज से मुक्ति दिलाई। अवतारी प्रभु श्रीराम ने मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में अपनी मानवीय लीला से लोगों को यह विश्वास दिलाया कि धर्म की सर्वदा विजय व अधर्म का नाश होता है। रामनगर में चल रही विश्व प्रसिद्ध रामलीला में मंगलवार को रावण का रणक्षेत्र में मृत्यु शैय्या पर शयन और श्रीराम विजय की लीला का मंचन किया गया।

 विश्व प्रसिद्ध रामलीला के 26वें दिन रावण की मूर्छा खत्म होती है और वह अपने महल में खुद को पाकर अपने सारथी को भूमि से भगाकर ले आने के लिए धिक्कारता है। अपने मायावी युद्ध के चलते श्रीराम के अनेक प्रहार के बावजूद जब रावण नहीं मरता है, तब विभीषण राम से रावण के नाभि कुंड में अमृत होने की बात बताते हैं। बाणों की वर्षा के बीच श्रीराम रावण के हृदय में बाण मारकर उसे विचलित कर देते हैं। फिर एक बाण नाभि में मारकर रावण की इहलीला समाप्त कर देते हैं। रावण की मृत्यु के बाद विभीषण को दुखी देख श्रीराम रावण का अंतिम संस्कार करने को कहते हैं।

रात्रि में निर्धारित समय पर विभीषण पूरे विधि-विधान से रावण को मुखाग्नि देकर उसके शव को जलाते हैं। लीला में शव के प्रतीक रूप में रावण का विशाल पुतला जलाया गया।देवलोक व भूलोक में सर्वत्र खुशियां छा जाती है।संपूर्ण लंका भूमि श्रीराम के जयकारे से गूंज उठती है तथा यहीं पर आरती के पश्चात लीला को विश्राम दिया जाता है।

रामनगर दुर्ग में परंपरागत ढंग सेमनी विजयादशमी

रामनगर दुर्ग में मंगलवार को विजयादशमी का पर्व राजसी शानो-शौकत व परंपरागत ढंग से मनाया गया। परंपरा के अनुसार अनंत नारायण सिंह दशमी तिथि लगने पर पूजन पर बैठे। चारों वेदों के चार विद्वान ब्राह्मणों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने विधि-विधान से शस्त्र पूजा की।पूजन के पश्चात 36वीं वाहिनीं पीएसी के जवानों ने सलामी दी। तत्पश्चात अनंत नारायण सिंह का शाही दरबार लगा। जहां दरबार से जुड़े मुसाहिब शाहबानो ने उनको नजराना पेश किया। राज परिवार से जुड़ी महिलाओं ने उनकी नजर उतारी। उसके बाद दुर्ग में स्थित मंदिरों में दर्शन के बाद शाम लगभग 4.19 बजे दुर्ग से सुसज्जित हाथियों पर पूरी शानो-शौकत के साथ राजशी पोशाक में अनंत नारायण सिंह की सवारी निकली।

 सवारी के दुर्ग के बाहर आते ही उपस्थित जन समुदाय ने हर हर महादेव का उद्घोष कर उनका अभिनंदन किया। अनंत नारायण सिंह ने भी हाथ जोड़कर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। शाही सवारी बटाऊ वीर पहुंचने पर अनंत नारायण सिंह ने परंपरा के अनुसार शमी वृक्ष का पूजन व परिक्रमा किया।

रामनगर में होता है रावण का अंतिम संस्कार

देशभर में दशहरे पर रावण का पुतला जलाया जाता है लेकिन रामनगर में बकायदा रावण का अंतिम संस्कार होता है। रामलीला में चूंकि सारा कुछ मानस पर आधारित होता है इसलिए प्रसंग के मुताबिक विभीषण और रावण के कुछ परिजन आग लेकर रावण के पुतले के पांच चक्कर लगाते हैं।विभीषण ही रावण के खानदान के एकलौते चिराग बच गए होते हैं इसलिए वहीं रावण को मुखाग्नि देते हैं।

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