BHU ने वापस लिया फैसला: 55 दिनों बाद दोबारा कार्डियोलॉजी प्रमुख बने डॉ. ओमशंकर, अनशन पर बैठने के कारण हुई थी कार्रवाई
डॉ. ओमशंकर ने बताया कि अनशन के दौरान बीएचयू प्रशासन ने अनुपलब्धता का गलत कारण बताकर विभागाध्यक्ष के पद से हटा दिया था जबकि उन दिनों 24 घंटे तक अपने कार्यालय पर मौजूद था। पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया हूं। मेरा कार्यकाल एक अगस्त 2024 को खत्म होना था लेकिन बीच में 55 दिनों के लिए विवि प्रशासन द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीएचयू में फरमान जारी होता है बदलने के लिए। ऐसे कई उदाहरण हैं, इसमें ताजा मामला सामने आया है बीएचयू के ह्रदय रोग विभाग के डॉ. ओमशंकर का।
सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कैलाश कुमार को बर्खास्त करने और कार्डियोलाजी विभाग को 90 बेड आवंटित करने की मांग को लेकर वह मई में तीन सप्ताह तक आमरण अनशन पर बैठ गए थे। इसके चलते विवि प्रशासन ने डॉ. ओमशंकर को विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया था।
डॉ. विकास अग्रवाल को नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस तरह डा. ओमशंकर 55 दिनों से विभागाध्यक्ष नहीं हैं। उनका कहना है कि विवि प्रशासन ने दुर्भावनापूर्ण ढंग से कार्रवाई की है। उन पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद है।
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मामले में उन्होंने कुलपति के खिलाफ विधिक कार्रवाई की चेतावनी दी थी। गुरुवार को सहायक रजिस्ट्रार एके शर्मा की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि डॉ. विकास विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी ठीक से उठा रहे थे। इसके बाद भी आइएमएस निदेशक के प्रस्ताव पर कुलपति ने तत्काल प्रभाव से प्रो. ओमशंकर को फिर से कार्डियोलाजी विभागाध्यक्ष का प्रभार सौंप दिया है।
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डॉ. ओमशंकर ने बताया कि अनशन के दौरान बीएचयू प्रशासन ने अनुपलब्धता का गलत कारण बताकर विभागाध्यक्ष के पद से हटा दिया था, जबकि उन दिनों 24 घंटे तक अपने कार्यालय पर मौजूद था। पूरी जिम्मेदारी का निर्वहन किया हूं।
बीएचयू में विभागाध्यक्ष का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। मेरा कार्यकाल एक अगस्त 2024 को खत्म होना था, लेकिन बीच में 55 दिनों के लिए विवि प्रशासन द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर विभागाध्यक्ष पद से हटा दिया गया, इसलिए अब मेरा कार्यकाल एक अगस्त को न खत्म होकर 25 सितंबर 2024 को खत्म होगा।
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