Varanasi Flood: गंगा में उफान के बाद वरुणा में पलट प्रवाह, घरों में घुसा पानी; PHOTOS
केंद्रीय जल आयोग के मध्य गंगा खंड कार्यालय के अनुसार राजघाट पर गंगा का जलस्तर बुधवार की सुबह 68.02 मीटर पर पहुंच गया था यानी मंगलवार की शाम चार बजे के बाद से 12 घंटों में 1.12 मीटर की वृद्धि हो चुकी थी। सुबह आठ बजे से शाम के छह बजे तक 10 घंटों में जलस्तर में 66 सेमी की वृद्धि हुई और यह 68.68 मीटर पर पहुंच गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। चहुंओर हो रही अच्छी वर्षा से गंगा में उफान के साथ ही अब वरुणा में पलट प्रवाह आरंभ हो गया है। गंगा का पानी वरुण नदी में जाने से सारनाथ के पुलकोहना क्षेत्र में कई घरों में पानी घुस गया है तो शहर के सभी घाट डूब चुके हैं।
सुबह-ए-बनारस के मंच, शीतला माता मंदिर, नमो घाट के स्कल्पचर तक पानी लहरा रहा है। गंगा आरती घाटों की छतों पर हो रही है तो महाश्मशान मणिकर्णिका डूबने से शवदाह भी घाट की छत पर किया जा रहा है। वहीं हरिश्चंद्र घाट पर मसान नाथ मंदिर भी पानी में डूब चुका है, वहां शवदाह करने की नौबत अब गली के मुहाने तक आ चुकी है।
लहरों में उफान के चलते नावों के बाद बुधवार से क्रूज के संचालन पर भी रोक लगा दी गई है। चिरईगांव के ढाब क्षेत्र में गंगा का पानी खेतों में बाेई गई किसानाें की सब्जियों की फसल को डुबोने लगा है तो लोग नावों से अब सुरक्षित ठौर की तलाश में निकल पड़े हैं।
इसे भी पढ़ें-मृत्यु के तीन साल बाद मृतक के नाम पुलिस ने दर्ज की रिपोर्ट, हाई कोर्ट अवाकमंगलवार की शाम से आठ सेमी प्रति घंटा बढ़ रहा जलस्तर पानी के वरुणा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने से बुधवार की शाम छह बजे तक 6.6 सेमी प्रति घंटा पर आ गया था। जलस्तर में वृद्धि की गति यही रही तो गुरुवार की शाम तक गंगा की लहरें चेतावनी बिंदु को स्पर्श कर सकती हैं।
अब यह चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से 1.582 मीटर नीचे रह गया है। पानी बढ़ने की वजह से सभी प्रमुख गंगा घाटों का आपस में संपर्क खत्म हो चुका है।सारनाथ के बाढ़ प्रभावित इलाकाें में बिजली कटी, घरों में आठ फीट तक पानी
गंगा का जल स्तर बढ़ने से वरुणा में जल का पलट प्रवाह हुआ और वरुणा भी उफान पर आ गई। क्षेत्र के सलारपुर पुलकोहना रेलवे लाइन के किनारे चमेला बस्ती के शरद विश्वकर्मा, राजकुमार सिंह, विजयी यादव, सुभाष गुप्ता, राजेश चौरसिया के मकानों में मंगलवार की रात में अचानक पानी घुसना शुरू हो गया। सुबह होते-होते कमरों में लगभग आठ फीट तक पानी भर गया। ये लोग अपना सामान लेकर किराए के मकान में शरण लिए हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में बिजली काट दी गई है।
ढाबवासी तलाश रहे सुरक्षित ठौरगंगा में बाढ़ का पानी तलहटी से ऊपर उठकर किनारे बोई गई सब्जियों फसलों को डुबोने लगा है। बाढ़ की आशंका से तटीय गावों के किसानों, पशुपालकों में दहशत व्याप्त है। लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में जुट गए हैं।
ढाब मोकलपुर अंबा, ढाब सोता पार करने के लिए लोग निजी नावों का सहारा ले रहे हैं। सरकारी राहत की शुरुआत अभी बाढ़ के पानी को चेतावनी बिंदु पार करने के इंतजार में ठंडे बस्ते में है। कागजी तौर पर बाढ़ चौकी स्थापित कर उस पर राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है।
इसे भी पढ़ें-बनारस में हर वर्ष 10.2 प्रतिशत मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार, शोध में हुआ खुलासाप्रभारी चिकित्साधिकारी चिरईगांव डा. अमित कुमार सिंह ने बताया कि क्लोरीन, ओआरएस, जिंक की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। राजस्व विभाग की ओर से बाढ़ चौकियों को सक्रिय करने की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी तैनात रहेगें। वहीं ढाब क्षेत्र के मोकलपुर गांव के ग्रामप्रधान ने बाढ़ की विभीषिका आरंभ होने के पूर्व ही प्रशासन से पर्याप्त मात्रा में भूसा उपलब्ध कराने की मांग की है।
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