काशी से कनाडा और अब विश्वनाथ कारीडोर तक का अन्नपूर्णा की मूर्ति ने किया इस तरह सफर
मूर्ति का इतिहास सामने आने के बाद कनाडा सरकार ने इसे शिष्टाचार भेंट के तौर पर भारत सरकार को लौटाने का उपक्रम शुरू किया। इसके बाद अब यह नई दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय होते हुए वाराणसी स्थापना के लिए पहुंच रही है।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 06:46 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। धर्म - संस्कृति और संस्कारों की नगरी काशी का महात्म्य पुराणों से भी प्राचीन मानी जाती है। काशी में पुराणों से संबंधित स्थल और साक्ष्य आज भी मौजूद हैं। पूर्व में कबीरदास जी की माला भी चोरी हो चुकी है जो अब तक वापस लौट नहीं सकी है। देश में अब तक 42 प्राचीन धरोहर लौट चुकी हैं। ऐसे में अब कनाडा से अन्नपूर्णा की मूर्ति की वापसी को देखते हुए उम्मीद जगी है कि काशी से संबंधित अन्य धरोहरों की भी वापसी होने की उम्मीद जगी है।
कनाडा की मैकेंजी आर्ट गैलरी, यूनिवर्सिटी आफ रेजिना में रखी गई थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नार्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार तैयार किया गया था। यहां पर वर्ष 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की मूर्ति कलाकार और कला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा को प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था। जहां उन्होंने मूर्ति पर गहन अध्ययन किया और भारतीय दूतावास को सूचित किया। दिव्या मेहरा ने अपने अध्ययन में पाया कि गुलामी के दौरान वर्ष 1913 में वाराणसी में गंगा किनारे क्षेत्र में एक अन्नपूर्णा की मूर्ति चोरी हुई थी। चोरी होने के बाद गुपचुप तरीके से यह मूर्ति कनाडा पहुंची और यहां पर मैकेंजी आर्ट गैलरी में शोभा बढ़ाने लगी। इस बाबत मूर्ति का इतिहास सामने आने के बाद कनाडा सरकार ने इसे शिष्टाचार भेंट के तौर पर भारत सरकार को लौटाने का उपक्रम शुरू किया। इसके बाद अब यह नई दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय होते हुए वाराणसी स्थापना के लिए पहुंच रही है।
वाराणसी काशी विश्वनाथ कारीडोर में रानी भवानी स्थित उत्तरी गेट के बगल में मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। इस दौरान बाबा दरबार में ईशान कोण क्षेत्र में 1913 के बाद कनाडा से लौटी मूर्ति की स्थापना वाराणसी में हो रही है। बाबा दरबार क्षेत्र में मूर्ति स्थापना के बाद अब काशी का वैभव भी कारीडोर में इसी के साथ आकार लेने लगेगा। कारीडोर परिक्षेत्र को दिव्य और भव्य स्वरुप मूर्ति स्थापना के बाद मिलना शुरू हो जाएगा और 13 दिसंबर को पीएम के लोकार्पण के बाद दुनिया भर के लोग मंदिर के साथ अन्नपूर्णा मंदिर भी दर्शन पूजन के लिए जा सकेंगे।
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