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श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन कर प्रसिद्ध गीतकार समीर ने कहा- गीत तो अब भी लिखे जा रहे, बस रंग-रूप बदला

जिसके गीतों ने ऐसी धूम मचाई कि प्रेमी उनके गीतों का सहारा लेने लगे। ‘साजन-आशिकी’ जैसी फिल्मों के गीतों के मधुर स्वर अब भी कहीं से लहराते सुनाई पड़ जाएं तो मन तरंगित हो उठता है। ऐसे गीतकार हैं- समीर अनजान।

By Jagran NewsEdited By: Anurag SinghUpdated: Sat, 29 Oct 2022 07:45 PM (IST)
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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में सपरिवार दर्शन-पूजन करने पहुंचे प्रसिद्ध गीतकार समीर (बाएं)।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिसके गीतों ने ऐसी धूम मचाई कि प्रेमी उनके गीतों का सहारा लेने लगे। ‘साजन-आशिकी’ जैसी फिल्मों के गीतों के मधुर स्वर अब भी कहीं से लहराते सुनाई पड़ जाएं तो मन तरंगित हो उठता है। ऐसे गीतकार हैं- समीर अनजान। मशहूर गीतकार पिता अनजान के गीतों की बगिया में परवरिश पाने वाले समीर ने सात सौ से अधिक फिल्मों के लिए छह हजार से अधिक गाने लिखकर अपने नाम रिकार्ड दर्ज कराया। वाराणसी के ओदार गांव में जन्मे प्रसिद्ध गीतकार समीर इन दिनों काशी में हैं। परिवार के साथ दो दिन मां विंध्यवासिनी की शरण में रहे। गुरुवार को नव्य-भव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मत्था टेका और शुक्रवार को संकटमोचन दरबार में शीश नवाया।

जागरण से विशेष बातचीत में फिल्म इंडस्ट्री में आ रहे बदलाव और गीतों पर चर्चा में सहजता से कहते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री बदलाव के दौर से गुजर रही है। नई पीढ़ी अपनी भाषा, सोच लेकर आई है। कोरोना काल के बाद से फिल्मों और गीतों के लिए नए आयाम, नए प्लेटफार्म खुल गए हैं। थिएटर अब मोबाइल पर उतर आया है। मोबाइल, ओटीटी प्लेटफार्म, यू-ट्यूब और सिनेमा... सब देखिए तो एक बिखराव सा दिखेगा। अब उस बिखराव में जो कहानियां बनाई जा रही हैं, उनमें गीत-संगीत की बहुत जगह नहीं दिख रही।

समीर कहते हैं कि शार्ट फिल्में जो मोबाइल यूजर्स के लिए बन रही हैं, उनमें बहुत हुआ तो किसी कविता की दो पंक्तियां आ गईं। ओटीटी पर जो फिल्में आ रही हैं, वे अधिकांशतः रीयलिस्टिक बैकग्राउंड पर बन रही हैं। उनमें म्यूजिक के नाम पर कोई आइटम सांग हो सकता है या बैकग्राउंड म्यूजिक, बस। पहले प्रापर म्यूजिकल फिल्में बनती थीं। कहानी लिखते वक्त ही म्यूजिक फिल्मकारों के मन में गूंजा करता था। तब म्यूजिक का एक अलग माहौल था। कहानी-किरदार पर म्यूजिक या गीत निर्भर करता था। अब की फिल्मों में जब ऐसा कोई किरदार या उसकी गुंजाइश ही नहीं है, तो अच्छी शायरी या गीत की उम्मीद भला कैसे कर सकते हैं। अजीब सा वक्त चल रहा है, लेकिन यह भी बदलेगा। मैं तो महसूस कर रहा हूं कि अब हम बदलाव की कगार पर हैं।

समीर कहते हैं कि यह सबको पता है कि फिल्मों की सफलता में गीतों का बड़ा योगदान रहा है। कहीं न कहीं लोग इसे मिस कर रहे हैं। अब यू-ट्यूब गीत-संगीत का बड़ा प्लेटफार्म बन चुका है। इस साल मेरे सौ गाने यू-ट्यूब पर आ जाएंगे। हिमेश रेशमिया व कई अन्य संगीत निर्देशकों के साथ। इस दौर में भी लगातार काम कर रहा हूं। यह काम अगर फिल्मों के माध्यम से सामने आता है तो जन-जन तक पहुंचता है। मोबाइल पर उसकी पहुंच चयनकर्ता पर निर्भर होती है। फिर भी यह जरूर कहना चाहूंगा कि काम तो हो रहा है, गीत अब भी लिखे जा रहे हैं। बस, उनका रंग-रूप बदला है।

दूरदर्शी सोच और विकास में पीएम मोदी का कोई सानी नहीं

गीतकार समीर कहते हैं कि मैं बनारस का ही हूं और यह शहर मेरे दिल में है। नव्य-भव्य धाम बनने के बाद से बाबा के दर्शन की अभिलाषा थी तो पत्नी-बेटी के साथ आया। हम सब अभिभूत हुए। वस्तुतः इतने भव्य धाम की कल्पना तक करना कठिन था, लेकिन पीएम मोदी ने इसे साकार कर दिखाया। यह हम बनारस के लोगों का सौभाग्य है कि ऐसे पीएम यहां के सांसद हैं। अगले कुछ वर्षों में लोगों को नया बनारस देखने को मिलेगा।

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