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अखिलेश यादव ने शंकराचार्य और उनके शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से काशी में लाठीचार्ज पर की क्षमा याचना

अखिलेश यादव हरिद्वार पहुंचे और कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले दिनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मथुरा में बयान दिया था किसान कितनी तकलीफ में हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Mon, 12 Apr 2021 04:41 PM (IST)
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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया।
वाराणसी/हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को हरिद्वार में वाराणसी में छह साल पूर्व हुए लाठीचार्ज के लिए संतों से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि 'जो गलती हुई थी, उसे स्वीकार करते हुए मैंने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से क्षमा मांगी है।

रविवार को अखिलेश यादव हरिद्वार पहुंचे और कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले दिनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मथुरा में बयान दिया था देश के किसान कितनी तकलीफ में हैं। इसी से प्रभावित होकर वह शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने यहां आए हैं।

दरअसल, मामला वाराणसी जिले में वर्ष 2015 का है तब उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के शासनकाल में प्रशासन ने संतों को गंगा में गणेश प्रतिमा का विसर्जन नहीं करने दिया था। इससे नाराज संत और बटुक श्रीविद्यामठ प्रमुख स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद के साथ गंगा तट पर ही धरने पर बैठ गए। संतों को हटाने के लिए पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया। इसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संतों को चोट आई थी।

यह था मामला

22-23 सितंबर 2015 की रात में वाराणसी में गोदौलिया पर संतों और बटुकों के प्रदर्शन को रोकने के लिए जिलाधिकारी राजमणि यादव के निर्देश पर लाठी चार्ज किया गया था। इस दौरान स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, बालकदास सहित कई लोग और तीन दर्जन के करीब बटुक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। संतों का गणेश प्रतिमा को ठहरे हुए जल में विर्सजन को शास्‍त्र विरुद्ध बताते हुए इसे प्रवाहमय जल में करने की मांग की गई थी। जबकि प्रशासन प्रतिमाओं को तालाब में विर्सजन करवाने पर अड़ा हुआ था। इस प्रकरण को लेकर लंबा विवाद चला और प्रशासन ने लाठी चार्ज कर प्रतिमाओं को संतों की मंशा के विपरीत जाकर जबरन तालाब में विसर्जन करवाया था।

वहीं संतों पर लाठी चार्ज होने के बाद स्‍थानीय नागरिकों और राजनीतिक स्‍तर पर विरोध प्रदर्शन भी चला। इसके बाद इस घटना के विरोध में पांच अक्‍टूबर को अन्‍याय प्रतिकार यात्रा निकली जिसमें व्‍यापक स्‍तर पर हिंसा की घटना सामने आई थी। इस मामले में कांग्रेस नेता अजय राय सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं आरोपित पर रासुका भी तामील की गई थी। 

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