इलाहाबाद हाई कोर्ट ने BHU पर लगाया 30 हजार रुपये का हर्जाना, जवाबी हलफनामा ना दाखिल करना पड़ा भारी
हाई कोर्ट ने BHU पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने बीएचयू को दो सप्ताह के अंदर यह जुर्माना राशि महानिबंधक के समक्ष जमा कराने का निर्देश दिया है। प्रत्येक याची का सत्यापन कर 10-10 हजार रुपये दिए जाएंगे। कोर्ट ने यह जुर्माना याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए बार-बार समय देने और स्पष्ट आदेश के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किए जाने के कारण लगायाहै।
विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पर 30 हजार रुपये हर्जाना लगाया है। दो सप्ताह में हर्जाना राशि महानिबंधक के समक्ष जमा करानी होगी। प्रत्येक याची का सत्यापन कर 10- 10 हजार रुपये दिए जाएंगे।
कोर्ट ने यह हर्जाना याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए बार- बार समय देने और स्पष्ट आदेश के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किए जाने व याची को न्याय से वंचित करने के कारण लगाया है।
कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 30 सितंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो वह गुण-दोष पर बीएचयू के जवाब के बिना याचिका तय कर देगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने कंचन मौर्या व दो अन्य की याचिका पर दिया है।
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कोर्ट ने आठ दिसंबर 2023 को चार सप्ताह में जवाब मांगा था। इसके बाद 19 फरवरी व 28 मार्च 2024 को भी समय दिया गया। शुरुआत में विश्वविद्यालय के अधिवक्ता हेम प्रताप सिंह ने समय मांगा, इसके बाद ममता सिंह ने बीएचयू की तरफ से जवाब के लिए समय मांगा। ममता की तरफ से अंजली सिंह ने समय मांगा।
कहा कि ममता सिंह कोर्ट से जा चुकी हैं। कोर्ट ने इसे याचिका की सुनवाई में अड़ंगा टैक्टिक्स करार दिया। कहा दो वकीलों का विवाद है कि कौन बहस करेगा? लेकिन कोर्ट को तो विश्वविद्यालय का जवाब आने से सरोकार है।
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दोनों वकीलों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। कोर्ट ने 30 हजार रुपये हर्जाने के साथ यह समय दे दिया और कहा फिर भी जवाब नहीं आया तो केस तय कर दिया जाएगा। यह प्रकरण पीएचडी में प्रवेश से संबंधित है।