रामनगर में काली माता का अद्भुत मंदिर, प्रसाद में मिलते हैं ‘ईंट-पत्थर’, पूजा में मुस्लिम भी होते हैं शामिल
Amazing temple of Kali Mata- लगभग तीन दशक से हो रही रामनगर की काली पूजा विरल और अद्भुत है। स्वाभाविक से लगने वाले पंडाल पूजा मंडप और तड़क भड़क आडंबर से बहुत दूर की अलग साज सज्जा इस पूजा को दिव्य और खास बना देती है। खास यह कि इस पूजा के प्रसाद के रूप में लोग यहाँ के मंडप में लगने वाले ईंट और मिट्टी आदि ले जाते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Sun, 12 Nov 2023 10:17 PM (IST)
संवाद सहयोगी, रामनगर। Amazing temple of Kali Mata- लगभग तीन दशक से हो रही रामनगर की काली पूजा विरल और अद्भुत है। स्वाभाविक से लगने वाले पंडाल, पूजा मंडप और तड़क भड़क आडंबर से बहुत दूर की अलग साज सज्जा इस पूजा को दिव्य और खास बना देती है। खास यह कि इस पूजा के प्रसाद के रूप में लोग यहाँ के मंडप में लगने वाले ईंट और मिट्टी आदि ले जाते हैं।
श्री काली पूजा समिति द्वारा इस काली पूजा का आयोजन रामनगर चौक में होता है। इस पूजा का सबसे खास आकर्षण यहाँ का पूजा मंडप है। ईंट और मिट्टी के साथ साथ खरपतवार से यह मंडप बनता है।
दो हजार नई ईंटों से ऐसे बनता है मंडप
मंडप बनाने में दो हजार नई ईंटों का प्रयोग किया जाता है। ईंटों का बेस बनाकर उसमें मिट्टी भर कर पूजा मंच बनाया जाता है। इस पर गोबर से लेप कर दिया जाता है। इसके चारों तरफ खरपतवार से घेर कर मंडप तैयार किया जाता है।दुल्हन की तरह सजा दिखा इलाका
इसी स्वाभाविक मंडप में रविवार की रात मां काली की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की गई। दो दिवसीय पूजा समारोह के लिए रामनगर चौक को विद्युतीय झालरों से सजाया गया। सादगी भरी इस सजावट से पूरा चौक क्षेत्र दुल्हन की तरह सजा दिखा।
प्रसाद के रूप में ईंट, मिट्टी ले जाते हैं भक्त
पूरे वैदिक विधि विधान से प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा ब्राह्मणों के दल ने की। पूजा समापन के बाद इस मंडप में लगे ईंट, मिट्टी या अन्य सारे सामान लोग प्रसाद के रूप में ले जाते हैं। ईंट के बदले उसकी कीमत समिति के पास जमा कर दी जाती है, जिसे समिति अन्य कामों में प्रयोग कर लेती है।मुस्लिम भाई भी करते हैं सहयोग
यह पूजा गंगा जमुनी तहजीब की जीती-जागती मिसाल है। पूजा आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विपिन सिंह बताते हैं कि पूजा में मुस्लिम भाई भी सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। हमारा उद्देश्य तीस सालों से चली आ रही परंपराओं को निभाना है।
तड़क भड़क से दूर रहकर पूजा को भव्य रूप प्रदान करने में हर कोई अपनी भागीदारी आगे बढ़ कर करता है। समारोह आयोजन में मूलचंद यादव, विपिन सिंह, अनिल पांडेय, नारायण झा, बैकुंठ केसरी, पप्पू खान, अनिल सिंह, भानु प्रताप सिंह, राजेंद्र गुप्ता, राजेंद्र बहेलिया, मनोज सिंह आदि ने सक्रिय भागीदारी की।यह भी पढ़ें: Maa Mahalakshmi: दिन में तीन बार रंग बदलती है मां महालक्ष्मी की मूर्ति, जानिए मंदिर से जुड़ी अन्य खास बातें
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