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अस्पताल के बाहर तड़प रहे कोरोना संक्रमितों को आक्सीजन देने वाले एम्बुलेंस चालक पर मुकदमा

जौनपुर में गुरुवार को जिला अस्पताल में अलसुबह से लेकर शाम तक तमाम कोरोना मरीज इलाज व बेड न मिलने से परेशान रहे। कइयों की सांसें जवाब देने लगीं तो एक निजी एंबुलेंस चालक उनके लिए देवदूत बन गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sat, 01 May 2021 10:12 AM (IST)
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वैश्विक महामारी कोरोना ने संक्रमितों के इलाज के सरकारी दावे की कलई खोलने वाली घटना सामने आई है।

जौनपुर, जेएनएन। होम करते हाथ जलने वाली कहावत गुरुवार को जिला चिकित्सालय में कोरोना संक्रमित मरीजों को निजी धन से निश्शुल्क आक्सीजन मुहैय्या कराने वाले एंबुलेंस संचालक व उसके सहयोगियों पर चरितार्थ हुई। जिला चिकित्सालय के अधीक्षक डा. एके मिश्र की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने अहियापुर मोहल्ला निवासी रितेश अग्रहरि उर्फ विक्की व उसके साथियों के विरुद्ध महामारी अधिनियम की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया है। विवेचना एसएसआइ गोविंद मिश्र को सौंपी गई है। जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने प्रकरण संज्ञान में आने पर जांच कराकर कार्रवाई किए जाने की बात कही है।

वैश्विक महामारी कोरोना ने संक्रमितों के इलाज के सरकारी दावे की कलई खोलने वाली घटना सामने आई है। गुरुवार को जिला अस्पताल में अलसुबह से लेकर शाम तक तमाम कोरोना मरीज इलाज व बेड न मिलने से परेशान रहे। कइयों की सांसें जवाब देने लगीं तो एक निजी एंबुलेंस चालक उनके लिए देवदूत बन गया। निश्शुल्क आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराकर उनकी टूटती सांसें थाम ली। इसके लिए उसने पत्नी के जेवर तक को दो लाख में बेच दिया। 

अस्पताल प्रशासन के आक्सीजन के भी प्रबंध न करने से कई मरीजों की सांसें थमने लगीं। ऐसे में उनके लिए फरिश्ता बन गया अस्पताल में निजी एंबुलेंस संचालक अहियापुर निवासी रितेश कुमार अग्रहरि उर्फ विक्की बाबा। जिन मरीजों को आक्सीजन की जरूरत नजर आती थी, विक्की बाबा व उनके सहयोगी तुरंत बिना कोई शुल्क लिए उन्हें उपलब्ध कराकर उनकी टूटती सांसों को थामने में जुट गए। शाम तक यह सिलसिला चलता रहा। इसकी वीडियो वायरल होने पर स्वास्थ्य महकमे की निद्रा भंग हुई। विक्की बाबा और उनके सहयोगियों को वहां से हटा दिया। आनन-फानन मरीजों को भर्ती कर इलाज शुरू कराया।

विक्की बाबा का दावा है कि उन्होंने आम तौर पर चार सौ रुपये में मिलने वाला रिफिल आक्सीजन सिलेंडर कालाबाजारी में बीस-बीस हजार रुपये में खरीदा। पत्नी के जेवर तक बेच दिए। 12 सिलेंडर खरीदकर 113 मरीजों को समय रहते आक्सीजन उपलब्ध कराया जिससे उनकी जान बची। विक्की बाबा कहते हैं कि जिंदगी में पैसा कमाने के बहुत मौके मिलेंगे। उन्हें सबसे ज्यादा आत्मसंतुष्टि इस बात की है कि ऐसे मौके पर वह जरूरतमंद मरीजों के काम आ सके। जेवर कहां बेचे जाने व सिलेंडर कहां से खरीदने के संबंध में पूछे जाने पर बताने से इन्कार कर दिया। कहां कि जरूरतमंदों की जान बचाने के लिए मिल गया यही काफी है।