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Varanasi: अध्यात्म और धर्म की ओर एक और कदम, अब संस्कृत विश्वविद्यालय पढ़ाएगा 'मंदिर प्रबंधन'

Varanasi देवालय सदा से आध्यात्मिक विकास तनाव मुक्ति व सामाजिक अवदान के केंद्र रहे हैं। प्राचीन काल में यह उत्सव-अनुष्ठान के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों के भी प्रमुख स्थल हुआ करते थे। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्राच्य विद्या का प्रमुख केंद्र टेंपल मैनेजमेंट पढ़ाएगा। इसमें राग-भोग पूजा-आरती की शुचिता साथ ही दान-खर्च में समन्वय आदि बिंदु पढ़ाए जाएंगे। इससे लोगों को धर्म की ओर झुकाव बढ़ेगा।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Wed, 07 Feb 2024 10:36 AM (IST)
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अध्यात्म और धर्म की ओर एक और कदम, अब संस्कृत विश्वविद्यालय पढ़ाएगा 'मंदिर प्रबंधन'
अजय कृष्ण श्रीवास्तव, वाराणसी। देवालय सदा से आध्यात्मिक विकास, तनाव मुक्ति व सामाजिक अवदान के केंद्र रहे हैं। प्राचीन काल में यह उत्सव-अनुष्ठान के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों के भी प्रमुख स्थल हुआ करते थे। आज भी अनेक मंदिर अपने विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से न केवल मानव बल्कि पर्यावरण संरक्षण व गो सेवा के संकल्प पूरे कर रहे हैं।

इसे गांव-गलियों में स्थापित प्राचीन मंदिरों तक विस्तार देने का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बीड़ा उठाएगा। इसके लिए प्राच्य विद्या का प्रमुख केंद्र टेंपल मैनेजमेंट पढ़ाएगा। इसमें राग-भोग, पूजा-आरती की शुचिता साथ ही दान-खर्च में समन्वय आदि बिंदु पढ़ाए जाएंगे।

देश भर के विद्वानों से विचार विमर्श कर बनेगा पाठ्यक्रम

पाठ्यक्रम की विषय वस्तु का निर्धारण काशी के विद्वानों संग विचार-विमर्श कर किया जाएगा। इसमें देश भर के विद्वानों की उपस्थिति में चर्चा के साथ चारो पीठों के शंकराचार्यों की भी सहमति ली जाएगी। इसके बाद विश्वविद्यालय के विद्या परिषद से पारित कर इसकी शुरुआत की जाएगी।

धर्म-अध्यात्म की ओर बढ़ा देश दुनिया का रुझान

इसके साथ संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस तरह का पाठ्यक्रम चलाने वाला देश का पहला शिक्षण संस्थान हो जाएगा। हाल के वर्षों में शांति की तलाश में धर्म-अध्यात्म की ओर देश-दुनिया का रुझान बढ़ा है। इसमें युवाओं की भी संख्या अधिक है। ऐसे में देवालयों में अनुष्ठान की शुचिता व सार्थक प्रबंधन की बात उठ रही है। हालांकि अनुष्ठान-विधान, मंदिर वास्तु, विग्रह प्राण-प्रतिष्ठा आदि के लिए सनातन धर्म में तमाम ग्रंथ जरूर उपलब्ध हैं, लेकिन सबसे अहम मंदिर प्रबंधन जैसे बिंदु देखने में नहीं आते।

संचालन व वित्तीय प्रबंधन भी होगा शामिल

संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट कोर्स की रूपरेखा बनाने में जुटा है। इसमें मंदिर प्रबंधन, संचालन, वित्तीय प्रबंधन सहित अन्य बिंदु शामिल होंगे। कर्मचारियों की भूमिका, योग्यता, दक्षता भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। मंदिर प्रबंधन में तकनीकी का उपयोग, प्रचार-प्रसार, अफवाहों पर नजर रखने का तरीका भी पढ़ाया जाएगा। दान व खर्च का अनुपात व समन्वय का तरीका भी पढ़ाया जाएगा। विशेष पर्वों पर भीड़ प्रबंधन को भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा।

कुलपति ने कही ये बात

टेंपल मैनेजमेंट कोर्स में मंदिर से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को पढ़ाया जाएगा। इसका पाठ्यक्रम अध्यापकों की सहमति से तैयार होगा। वर्तमान में टेंपल मैनेजमेंट पर कोई ग्रंथ नहीं है। इसे देखते हुए काशी के विद्वानों से ग्रंथ लिखने का भी अनुरोध किया जाएगा ताकि टेंपल मैनेजमेंट के कोर्स में पढ़ाया जा सके। -प्रो. बिहारी लाल शर्मा, कुलपति, संस्कृत विश्वविद्यालय

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