Anti Snake Venom : वाराणसी के स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम के साथ ही विश्वास का भी संकट
सर्पदंश के अधिकांश मामलों में पीड़ित की झाड़-फूंक और इसमें असफलता हाथ लगने के बाद निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसकी वजह स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम का उपलब्ध न होना माना जा रहा है। बरसात के मौसम में जलभराव के चलते सर्पदंश के मामले एकाएक बढ़ गए हैं।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sun, 18 Jul 2021 09:57 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Anti snake venom बरसात का समय आ चुका है। ऐसे मौसम में जलभराव के चलते सर्पदंश के मामले एकाएक बढ़ गए हैं। जानकर हैरत होगी कि तकनीक के इस दौर में भी अधिकांश मामलों में पीड़ित को सीधे अस्पताल ले जाने के बजाय लोगों का अधिक विश्वास झाड़-फूंक पर रहा तो इसमें असफलता हाथ लगने पर सरकारी के बजाय अधकचरे संसाधनों वाले निजी अस्पतालों पर लोगों ने विश्वास जताया। दो दिन में दो मामले और दोनों में ही पीड़ित की मौत के बाद कहने को नहीं रह जाता कि क्या हाथ आया।
दरअसल, रोग-बीमारी, घटना-दुर्घटना समेत सर्पदंश तक के मामलों में तत्काल राहत के लिए ब्लाकवार सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की लंबी-चौड़ी श्रृंखला के बाद भी इन पर लोगों का अविश्वास नजर आता है। इसके पीछे जरूरी संसाधनों व डाक्टर-स्टाफ की ससमय अनुपलब्धता को बड़ा कारण मान सकते हैं तो एंटी स्नेक वेनम तक की कमी से इनमें मुस्तैदी का अंदाजा लग जाता है। सर्पदंश के अधिकांश मामलों में पीड़ित की झाड़-फूंक और इसमें असफलता हाथ लगने के बाद निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसकी वजह स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी स्नेक वेनम का उपलब्ध न होना माना जा रहा है।
इस चक्कर में कुछ लोगों की जान भाग्य से बच जा रही तो वहीं सही समय पर इलाज न मिलने से तमाम को जान गंवानी भी पड़ी। स्वास्थ्य केंद्रों के ड्रग स्टाक पर गौर करें तो ज्यादातर में बेहद सीमित मात्रा में एंटी स्नेक वेनम हैं तो कई स्थानों पर इसकी उपलब्धता ही नहीं है। इस स्थिति से निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्राें पर वेनम उपलब्ध कराता है। उद्देश्य यह कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं होने पर पीड़ित को घर के पास ही एंटी स्नेक वेनम देकर जान बचाई जा सके। कारण यह कि इस तरह के केस में इलाज की देरी भी मरीज के लिए जानलेवा हो सकती है। स्थिति पर गौर करें तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दानगंज, एडिशनल पीएचसी मिर्जामुराद, व कछवारोड क्षेत्र के डोमैला स्वास्थ्य केंद्र पर एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध ही नहीं है जब कि ये इलाके सर्वाधिक सर्पदंश मामले वाले हैं।
आंकड़े बताते हैं विश्वास का सच स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्पदंश के पहुंचने वाले मामलों पर गौर करें तो दो माह में किसी पीड़ित ने इस ओर का रूख ही नहीं किया। परिवारीजन झाड़-फूंक में उलझने के बाद निजी अस्पताल गए और वहीं हाथ खड़े किए जाने के बाद शहर की भीड़ भरी सड़कों से होते मंडलीय अस्पताल ले गए।
स्वास्थ्य केंद्र - उपलब्ध एंटी वेनममंडलीय हास्पिटल - 175 - 09
सीएचसी हरहुआ - 10 - 00पीएचसी हरहुआ - 10 - 00बड़ागांव पीएचसी - 20 - 00एलबीएस हास्पिटल - 10 -00सीएचसी विरांव - 10 -00पीएचसी चिरईगांव - 05 - 00सीएचसी चिरईगांव - 05 -00सीएचसी आराजीलाइन - 30 -00पीएचसी विद्यापीठ - 14 -00सीएचसी हाथी - 21 -00सीएचसी सेवापुरी - 12 -00
(नोट : सर्पदंश के मामले जून से अब तक व एंटी स्नेक वेनम वायल में।) बरसात में मांग बढ़ेगी तो आर्डर कर दिए जाएंगेएंटी स्नेक वेनम व एआरबी इंजेक्शन ड्रग कारपोरेशन से ड्रग स्टोर में नियमित तौर पर आते रहते हैं। इन्हें मांग के अनुरूप स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध करा दिया जाता है। बरसात में मांग बढ़ेगी तो आर्डर कर दिए जाएंगे।- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।
दो दिन में सर्पदंश से किशोर सहित दो की मौतचौबेपुर क्षेत्र के हंडियाडीह गांव निवासी संजय कुमार माली के 17 वर्षीय पुत्र श्रीकांत की बीते शुक्रवार की रात व सुंगुलपुर गांव निवासी लालती यादव (60 वर्ष) पत्नी सेवा यादव की विगत शनिवार की सुबह सर्पदंश से मौत हो गई। श्रीकांत अपने कमरे में सोया हुआ था। भोर में उसे सर्प ने डस लिया। सुबह उसके मुंह से झाग निकलता देख परिवारीजनों को जानकारी हुई। गांव के लोगों ने पहले तो झाड़-फूंक किया। मगर जब हालत अधिक बिगड़ी तो चोलापुर के धरसौना बाजार स्थित निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। श्रीकांत तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था और पहलवानी करता था। वहीं पिता संजय माली फूल-माला बेचने का काम करते हैं। उधर, लालती यादव सुबह घर में झाड़ू लगा रही थीं, इस दौरान सर्प ने डस लिया। परिवारीजन महिला को धरसौना बाजार स्थित निजी हास्पिटल ले गए, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पति सेवा यादव दो वर्ष से लकवाग्रस्त हैं, और बेड पर हैं। वहीं उनके दो पुत्र हैं, जो पशुपालन के साथ ही मजदूरी कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
बाजार में 460 रुपयें में उपलब्ध है एंटी स्नेक वेनमसप्तसागर दवा मंडी में एंटी स्नेक वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। दवा कारोबारी एके मंत्री के मुताबिक अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक इसकी मांग रहती है। इसका मैक्सिमम रिटेल प्राइज 566 रुपये है, जबकि यह करीब 460 रुपये में मिल जाता है। इसमें एक ही डोज होती है, जो पाउडर के रूप में होती है। डिस्पाेजल वाटर मिलते ही यह इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाती है। इसे सीधे इंजेक्शन के रूप में या आइवी में मिलाकर ग्लूकोज के माध्यम से मरीज को दी जाती है।, जिसका निर्धारण डाक्टर यह देखकर करते हैं कि सांप ने किस अंग पर या शरीर पर कहां डसा है।
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