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ज्ञानवापी तहखाने में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां... स्तंभ पर 'कासी', स्वास्तिक का निशान; ASI सर्वे की Photos

Gyanvapi भारतीय पुरात्तव विभाग ने जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे किया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। एएसआई की टीम ने 4 अगस्त से 2 नवंबर 2023 तक ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से सर्वे किया। इसके बाद 38 दिनों तक इस सर्वे की रिपोर्ट तैयार की।

By Abhishek Pandey Edited By: Abhishek Pandey Updated: Fri, 26 Jan 2024 09:27 PM (IST)
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ज्ञानवापी तहखाने में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां... स्तंभ पर 'कासी', स्वास्तिक का निशान; ASI सर्वे की Photos
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय पुरात्तव विभाग ने जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वे किया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं।

एएसआई की टीम ने 4 अगस्त से 2 नवंबर 2023 तक ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से सर्वे किया। इसके बाद 38 दिनों तक इस सर्वे की रिपोर्ट तैयार की। 18 दिसंबर को एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी। 24 जनवरी 2024 को जिला अदालत ने मंदिर और मस्जिद पक्ष को सर्वे रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। इसके ज्ञानवापी रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, जिसमें एएसआइ ने कई बड़े खुलासे किए हैं।

दीवारों पर मौजूद हैं हिंदू धर्म से संबंधित आकृतियां

एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि यहां पर पूर्व में एक विशाल मंदिर रहा होगा। जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि ज्ञानवापी की दीवारों पर उकेरी गईं हिंदू धर्म से संबंधित तस्वीरें और लिखे गए शब्द मौजूद हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, एक स्तंभ पर नागरी लिपि में 'कासी' लिखा हुआ है। उसमें यह भी स्पष्ट लिखा है कि यह 17वीं शताब्दी का है।

एक अवशेष पर संस्कृत में श्रीमच्छा, पा भृगुवास, वद्विजातिश्च, आय अर्जानी, णरायै परोप, जातिभि: धर्मज्ञ: अंकित है। एएसआइ ने इसे 16वीं शताब्दी का अवशेष बताया है।

इसी प्रकार एक लिंटेल बीम पर संस्कृत में यो न मा महाचद लिखा मिला। एक दीवार पर संस्कृत में रुद्राद्या व श्रावना अंकित है।

इसी प्रकार मुख्य द्वार पर उत्तरी दिशा में तेलुगु में कई शब्द लिखे मिले हैं। रिपोर्ट में इनका अनुवाद भी किया गया है। महा, (शि). न दीपनु, कुनु, हद.म , मवि (रति), डुहच्च, र का उल्लेख है। इसी प्रकार स्याकस्य, लये, कान्होलषुम, देशोकुंकाल, मंड, ल्यांकला, ला लिखे मिले हैं।

एएसआइ द्वारा जारी की गई सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प तहखाना में फेंकी गई मिट्टी के नीचे दबे हुए हैं।

चबूतरे के पूर्वी भाग में तहखाना बनाते समय पहले के मंदिरों के स्तंभों का पुन: उपयोग किया गया है। एक स्तंभ जिसे घंटियों से सजाया गया है तथा उसके चारों तरफ दीपक रखने का स्थान हैं, उस पर संवत् 1669 (1613 ई., 1 जनवरी, शुक्रवार के अनुरूप) का लिखा है। इस स्तंभ का तहखाना बनाने में पुन: उपयोग किया गया है।

जीपीआर सर्वेक्षण में उत्तरी दरवाजे की ओर 1-2 मीटर की गहराई पर फर्श में एक सिंकहोल-प्रकार की गुहा, एक खड़ी और गहरी संकीर्ण गुहा के संकेत मिले हैं। दक्षिण की ओर एक दरवाजे के समान एक आयताकार बजरी से पटा मार्ग पाया गया है।

दक्षिण गलियारे में बेसमेंट स्तर पर 4-6 मीटर की गहराई दिखी है। तीन मीटर तक उथले स्तर पर एक समान उत्तरी गलियारा तथा उत्तरी हाल के उत्तर और तहखाने के पश्चिम में भी गलियारा पाया गया है। गलियारा से सटे 3-4 मीटर चौड़े तहखानों की कतार दिखी है। यहीं पर स्थित तहखाने में दो मीटर चौड़ा कुआं छिपा हुआ है।

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