Gyanvapi Case: ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट चार सप्ताह तक नहीं होगी सार्वजनिक, 24 जनवरी तक रोक; ASI की याचिका स्वीकार
Gyanvapi Survey Report एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट चार सप्ताह तक न तो सार्वजनिक करने और न ही किसी पक्ष को देने की मांग करते हुए बीते तीन जनवरी को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वे रिपोर्ट सिविल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट को उपलब्ध कराने के बाद ही इससे संबंधित अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया जाए।
विधि संवाददाता, वाराणसी। Gyanvapi Survey Report: ज्ञानवापी में हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) सर्वे की रिपोर्ट 24 जनवरी तक न तो सार्वजनिक की जाएगी और न ही मंदिर या मस्जिद पक्ष को दी जाएगी। एएसआइ के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने शनिवार को यह आदेश दिया। रिपोर्ट से जुड़े अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण भी उसी तारीख को होगा।
एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट चार सप्ताह तक न तो सार्वजनिक करने और न ही किसी पक्ष को देने की मांग करते हुए बीते तीन जनवरी को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार सर्वे रिपोर्ट सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट को उपलब्ध कराने के बाद ही इससे संबंधित अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया जाए।
रिपोर्ट वकील अनुपम द्विवेदी को उपलब्ध कराने की मांग
मां शृंगार गौरी मुकदमे की चार वादी महिलाओं मंजू व्यास, रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी की ओर से सर्वे रिपोर्ट उनके वकील विष्णु शंकर जैन को देने की मांग की गई है। एक अन्य वादी राखी सिंह ने रिपोर्ट अपने वकील अनुपम द्विवेदी को उपलब्ध कराने की मांग की है।अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (मस्जिद पक्ष) की तरफ से कहा गया है कि रिपोर्ट सार्वजनिक न की जाए लेकिन अगर मंदिर पक्ष को दी जाती है तो उनके वकील एखलाक अहमद को भी दी जाए।
वुजूखाने की सफाई की मांग पर नहीं आया आदेश
ज्ञानवापी के वुजूखाने की साफ-सफाई की मांग को लेकर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से जिला जज की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र पर शनिवार को आदेश नहीं आ सका। इसके निस्तारण के लिए अदालत ने 24 जनवरी की तारीख तय की है।बीते बुधवार को अंजुमन इंतेजामिया ने प्रार्थना पत्र देकर ने कहा था कि मंदिर पक्ष वुजूखाने में शिवलिंग मिलने की बात कहता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उसे सील कर दिया गया है। इस कारण उसमें मौजूद मछलियों की देख-रेख नहीं हो सकी और कुछ मछलियां मर गईं। हौज की सफाई नहीं होने से दुर्गंध पैदा हो रही है। इसलिए हौज की साफ-सफाई करने की अनुमति दी जाए। मंदिर पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने इस पर आपत्ति जताते हुए बताया कि वुजूखाने की साफ-सफाई को लेकर हमने पहले ही सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है।
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