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मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली सरकारी संस्थाओं में की जाएगी ज्योतिर्विदों की नियुक्ति

वाराणसी में मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाली सरकारी संस्‍थाओं में अब ज्‍योतिर्विदों की नियुक्ति की जानकारी सरकार की ओर से सामने आई है। अब मौसम की भविष्‍यवाणियों में ज्‍योतिषीय ज्ञान का भी समावेश करने की तैयारी है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek sharmaUpdated: Sat, 12 Nov 2022 08:51 AM (IST)
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अब मौसम विभाग की भविष्‍यवाणी में ज्‍योति‍षीय ज्ञान का भी प्रयोग किया जाएगा।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन वाराणसी में किए जाने के दौरान सरकार ओर से एक बड़ा फैसला लिए जाने की जानकारी सामने आई है। बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में ज्योतिर्विज्ञान केंद्र की स्थापना होगी तो वेद-वेदांग एवं भारतीय संस्कृति के संरक्षण से देश विश्व गुरु बनेगा। इस आशय की जानकारी डा. महेंद्र नाथ पांडेय ने दी है।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में ज्योति र्विज्ञान केंद्र की स्थापना की जाएगी। साथ ही मौसम का पूर्वानुमान करने वाली संस्थाओं में अब ज्योतिर्विदों की नियुक्ति भी की जाएगी। विश्वविद्यालय में चल रहे अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन के समापन समारोह में पहुंचे मुख्य अतिथि केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डा. महेंद्रनाथ पांडेय ने ज्योतिर्विदों की इन दोनों मांगों को स्वीकार करते हुए इस संबंध में सरकार के स्तर पर निर्णय कराने का आश्वासन दिया।

दो दिवसीय इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वेद-वेदांग, भारतीय संस्कृति एवं धरोहरों के संरक्षण से ही देश विश्वगुरु पद पर पुन: प्रतिष्ठापित हो सकता है। उन्होंने पारंपरिक शास्त्रों के संरक्षण एवं संवर्धन में वर्तमान सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों सहित दृष्टिकोण को भी बतलाया। इनके पूर्व सारस्वत अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने सम्मेलन के विषय धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पुरुषार्थ की प्राप्ति में ज्योतिष शास्त्र के पक्षों पर चर्चा की।

विशिष्ट अतिथि दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. रामचंद्र झा ने ज्योतिषशास्त्र में वर्णित चतुर्विध पुरुषार्थ का शास्त्रीय विवेचन कर ज्योतिषशास्त्र के कर्मविपाक् सिद्धांत पर बल दिया। नेपाल से आए प्रो. जयंत पाल ने भारतीय ज्योतिष के सैद्धांतिक पक्षों को उपस्थापित करते हुए भारत नेपाल समन्वय के साथ पंचांगों के समन्वय की बात रखी। अध्यक्षता करते हुए संकाय प्रमुख प्रो. कमलेश झा ने ज्योतिष शास्त्र के दार्शनिक पक्षों का निदर्शन करते हुए ज्योतिष विभाग की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

स्वागत करते हुए ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. रामजीवन मिश्र ने सम्मेलन की गतिविधियों को प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री ने किया। इस मौके पर उनके द्वारा संपादित ग्रंथ ‘‘शुक चंद्रिका’’ का लोकार्पण भी किया गया। संचालन डा. सुभाष पांडेय ने किया। 

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