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53 की उम्र में वाराणसी के बृजेश पाठक 100 बार रक्तदान कर बने शतकवीर, दिव्यांग बेटी के हौसलों को भी बनाया फौलाद

जिन्दगी कांटों का सफर हैं हौसला इसकी पहचान हैं। रास्ते पर तो सभी चलते हैं जो रास्ते बनाये वही इंसान हैं। ये चंद पंक्तियां मानस नगर दुर्गाकुंड के रहनेवाले दवा व्यवसायी बृजेश पाठक जैसे इंसान के ऊपर खूब बैठती हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 03 Sep 2021 10:35 PM (IST)
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दवा व्यवसायी बृजेश पाठक 53 वर्ष की उम्र में अब तक 100 बार रक्तदान कर शतकवीर बन चुके हैं।

वाराणसी, रवि पांडेय। जिन्दगी कांटों का सफर हैं, हौसला इसकी पहचान हैं। रास्ते पर तो सभी चलते हैं, जो रास्ते बनाये वही इंसान हैं। ये चंद पंक्तियां मानस नगर, दुर्गाकुंड के रहनेवाले दवा व्यवसायी बृजेश पाठक जैसे इंसान के ऊपर खूब बैठती हैं। बृजेश दर्द को हमदर्द बनाकर अपनी दिव्यांग बेटी सुमेधा की खुशियों के लिए 53 वर्ष की उम्र में अब तक 100 बार रक्तदान कर शतकवीर बन चुके हैं।

यही नही बृजेश जैसे पिता की प्रेरणा ने दोस्त बनकर बेटी के साथ सिद्ध कर दिया कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है बस इंसान को हिम्मत और हौसले की जरूरत होती है। कहने को सुमेधा दिव्यांग थी लेकिन बृजेश ने ऐसा जोश भरा कि सामान्य आदमी जो कर सकता है वो सारे काम अब सुमेधा करती है। ये सिर्फ पिता की लगन और मेहनत का नतीजा है कि सुमेधा पढ़ाई में टापर बनी और लक्ष्मीबाई पुरस्कार मिला। खेल में स्टेट शूटिंग चैंपियनशीप में सुमेधा को गोल्ड मेडल मिला।

बेटी की इच्छा पुरी करने के लिए बृजेश ने घर में बनाया शूटिंग रेंज

दिव्यांग बेटी के दर्द को दिल में रखकर लोगों से मुस्कुरा कर मिलने वाले बृजेश पाठक ने बताया कि लाकडाउन के दौरान सुमेधा ने कहा कि पापा प्रेक्टिस कैसे करेंगे।इसके बाद बृजेश पाठक ने मिस्त्री और इलेक्ट्रिशियन को बुलाकर दो दिन में ही बेटी की खुशियों और सपनों को साकार करने के लिए घर मे ही शूटिंग रेंज बना डाला।घर में ही सुमेधा प्रतिदिन प्रेक्टिस करती है। बेटी सुमेधा के हौसलों को मजबूत करने के लिए बृजेश पाठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी के अलावा राज्यपाल राम नाईक, चांसलर गिरधर मालवीय, राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी, स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, कमलेश पांडेय चीफ कमिश्नर दिव्यांग कल्याण मंत्रालय भारत सरकार, अनुप्रिया पटेल से मिलवाया है।

बृजेश की मेहनत ने दिव्यांग सुमेधा को शिक्षा, खे , एंकरिंग और समाज में मजबूती दिलाई

बृजेश पाठक ने बताया कि 2013 में जब सुमेधा को समस्या हुई तो कुछ दिन परेशान थी लेकिन उसके बाद मैंने उसके साथ रहकर उसके हौसले और इरादों को मजबूत किया। जिसके बाद सुमेधा ने संकल्प लिया हर काम वो कर सकती है। खेल में 28 वीं आलइंडिया जीवी मालवंकर शूटिंग चैंपियनशिप 2018 में कांस्य और स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप मेरठ में स्वर्ण पदक हासिल किया।किसी भी कार्यक्रम में सुमेधा की एंकरिंग सुनकर लोग आश्चर्य करते हैं। बृजेश बताते हैं कि बेटी की खुशी के लिए अपने हर काम छोड़कर सुमेधा के साथ साथ दोस्त बनकर साये की तरह साथ रहता हूं।

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