Ballia Election Result 2022 : बलिया की बांसडीह विधानसभा सीट से केतकी सिंह ने सपा के रामगोविंद चौधरी को हराया
रामगोविंद इस सीट पर 2012 से लगातार विधायक हैं। उनका विजय रथ केतकी ने रोका है। बता दें कि बलिया की हाट सीट में बांसडीह भी खूब चर्चा में रही है। सबकी नजरें टिकी थी कि आठ बार के विधायक रहे रामगोविंद चौधरी क्या इस बार भी यहां से जीतेंगे।
By Milan KumarEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2022 07:04 PM (IST)
बलिया, जागरण संवाददाता। बांसडीह में पहली बार भाजपा का खाता खुला है। आठ बार के विधायक रहे रामगोविंद चौधरी को निषाद पार्टी-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी केतकी सिंह ने जोरदार पटखनी दी है। रामगोविंद इस सीट पर 2012 से लगातार विधायक हैं। उनका विजय रथ केतकी ने रोका है। बता दें कि बलिया की हाट सीट में बांसडीह भी खूब चर्चा में रही है। सबकी नजरें टिकी थी कि लगातार दो बार जीत हासिल कर चुके रामगोविंद चौधरी क्या इस बार भी यहां से जीतेंगे। पिछली बार भी निर्दल लड़कर केतकी सिंह ने उन्हें कड़ी चुनौती दी थी। 2007 में बसपा से विधायक रहे शिवशंकर चौहान ने भी इस बार भाजपा का साथ दिया, इसका भी फायदा केतकी सिंह को मिला।
2017 के चुनाव में रामगोविंद को सपा के साथ कांग्रेस का वोट भी मिला था। यह सभी को मालूम है कि कांग्रेस के बच्चा पाठक इसी सीट से सात बार विधायक रह चुके हैं। अबकी बार कांग्रेस ने उनके नाती पुनीत पाठक को मैदान में उतारा था लेकिन वे भी कांग्रेसी वोट बैैंक में सेंध लगा पाने में कितना सफल हाे पाते हैं यह परिणाम आने के बाद तय होगा। । पिछली बार भाजपा-सुभासपा गठबंधन के चलते यह सीट सुभासपा के पाले में गई थी। यहां से सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर को टिकट मिला था, जिसका विरोध हुआ। भाजपा दो खेमे में बंट गई। केतकी सिंह निर्दल मैदान में कूद गईं थीं। वह दूसरे स्थान पर थीं, जबकि अरविंद तीसरे।
1971 के बाद कांग्रेस का रहा दबदबा
वर्ष 1971 के बाद बांसडीह विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। 1974 और 1977 में कांग्रेस से बच्चा पाठक विजयी होते रहे। दो बार 1985 और 1989 के चुनाव में विजयलक्ष्मी को जीतने का मौका मिला, उसके बाद 1991, 1993 और 1996 में बच्चा पाठक फिर विजयी रहे और मंत्री बने।
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