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Varanasi Flood: गंगा पार नावों के जाने पर लगा प्रतिबंध, नहीं चलेंगी छोटी नावें, बढ़ रहे जलस्‍तर को लेकर अलर्ट

वाराणसी में मंगलवार की सुबह आठ बजे जलस्तर 62.34 मीटर पर पहुंच गया था जो रात आठ बजे तक 12 घंटे में 16 सेमी बढ़कर 62.50 मीटर पर पहुंच गया था। गंगा के जलस्तर में शनिवार से हो रही तेजी वृद्धि से रविवार शाम तक अनेक घाटों पर सीढ़ियां डूब चुकी थीं। पानी और भी सीढ़ियों को डुबाने के लिए ऊपर की ओर बढ़ रहा था।

By devendra nath singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 17 Jul 2024 10:51 AM (IST)
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दिन भर धूप छांव के बाद शाम को बादलों ने बनारस में डाला डेरा। नवनीत रत्न पाठक

जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए नावों के गंगा पार जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। छोटी नावों का भी संचालन नहीं होगा। बड़ी नावें चलेंगी जरूर लेकिन उन पर क्षमता से आधी सवारी को बैठाने की अनुमति होगी। नावों की सवारी करने वाले हर किसी को लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य होगा।

एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक के अनुसार गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ बहाव भी तेज हो गया है। इसे देखते हुए छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। स्नान और घूमने के लिए नावों में बिठाकर लोगों को गंगा पार ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

अभी बड़ी नावें चल सकेंगी लेकिन उन पर क्षमता से आधी सवारी बैठाने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही लाइफ जैकेट समेत अन्य सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। नावों की सबसे अधिक भीड़ गंगा आरती के दौरान होती है। पानी के तेज बहाव को देखते हुए इस पर भी रोक लगाई गई है।

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दशाश्वमेध व शीतला घाट पर गंगा आरती के दौरान दूसरे घाटों से आने वाली नावों को वहां रुकने पर रोक लगाई गई है। आरती खत्म होने के बाद किसी को नाव चलाने की अनुमति नही होगी। नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

नियमों की हो रही अनदेखी

बाढ़ को देखते हुए नावों के सुरक्षित संचालन को लेकर पुलिस की ओर से सख्त निर्देश दिए गए हैं लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। नाविक गंगा में छोटी नावें चला रहे हैं। नावों पर क्षमता से अधिक सवारी भी बैठा रहे हैं। नावों पर सवार कई लोग बिना लाइफ जैकेट के भी नजर आ रहे हैं।

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हरिश्चंद्र घाट पर मसाननाथ मंदिर व चरणपादुका पानी से घिरे

गंगा के जलस्तर में वृद्धि की दर मंगलवार को काफी कम हो गई लेकिन घाटों का संपर्क टूटने का क्रम जारी रहा। शिवाला से हनुमानघाट की ओर जाने का मार्ग बंद हो गया। लोग पानी में से होकर आ-जा रहे हैं। इसमें गिर भी जा रहे हैं। हरिश्चंद्र घाट पर चरणपादुका चारो ओर से तो मसाननाथ बाबा मंदिर तीन तरफ से पानी से घिर गया है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार 23 घंटों से दो सेमी प्रति घंटा बढ़ रहा जलस्तर मंगलवार शाम चार बजे से डेढ़ सेमी प्रति घंटा के वेग पर आ गया।

तेज बहाव को देखते हुए प्रशासन ने छोटी नावों के संचालन पर रोक लगा दी। सोमवार शाम को पानी बढ़ने से शहर में गंगा के कई घाटों का संपर्क आपस में टूट चुका है। केदारघाट समेत अनेक घाटों का संपर्क भी टूटने के कगार पर है। किनारों पर स्थित कई मंदिर पानी में डूब गए हैं, कुछ में पानी प्रवेश कर गया है।

पानी बढ़ने से अहिल्याबाई घाट समेत कई घाटों पर मंदिर जलाजल हो चुके हैं। दशाश्वमेध घाट का प्लेटफार्म व नमो घाट का रैंप जलमग्न हो चुका है। केदारघाट की तीन सीढ़ियां बची हैं, ये भी डूबीं तो इस घाट पर भी अन्य घाटों से पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।

मणिकर्णिका घाट पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर, ललिता घाट पर बनी जेटी, दशाश्वमेध घाट पर बना गंगा आरती का प्लेटफार्म आदि पानी में डूब चुके थे। बढ़ते पानी का प्रवाह और गति देख आशंकित मान मंदिर पर तीर्थ पुरोहित अपनी चौकियां हटा चुके हैं तो दशाश्वमेध पर लगी झंडियां भी आरती समिति के स्वयंसेवकों ने उतार लिए हैं।