Varanasi: अब गंगा में नहीं चलेगी डीजल इंजन वाली नाव, निगम ने लाइसेंस के नवीकरण पर लगाई रोक; विधिक कार्रवाई का फैसला
नगर आयुक्त ने कहा कि सीएनजी में परिवर्तित कराने के बाद ही डीजल इंजन वाले नावों को गंगा में चलाने की अनुमति दी जाएगी। यही नहीं उनका पंजीकरण भी नहीं किया जाएगा। वहीं जल पुलिस के सहयोग से बिना लाइसेंस वाले नावों की धर-पकड़ का अभियान शुरू किया जाएगा। पूर्व में भी नगर निगम ने कई अवैध नावों को पकड़ा है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। नगर निगम ने गंगा में डीजल इंजन वाली नावों के संचालन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बावजूद 167 डीजल से नावें अब भी गंगा में चल रही हैं। इसे देखते हुए निगम में डीजल इंजनयुक्त नावों के लाइसेंस के नवीकरण पर रोक लगा दी थी। साथ ही राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के प्रावधान के तहत डीजल इंजन वाले नाविकों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने का भी निर्णय लिया है।
दूसरी ओर शुक्रवार को नाविक संगठनों के प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को नगर आयुक्त अक्षत वर्मा से उनके कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान नाविक संगठनों ने डीजल इंजन का संचालन प्रतिबंधित करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने का सुझाव दिया।
कहा कि बहुत से ऐसे अवैध नाविक भी हैं जो बगैर पंजीकरण के गंगा में नाव का संचालन कर रहे हैं। ऐसे नाविक ही डीजल इंजन लगाकर गंगा में नाव चला रहे हैं।
सीएनजी में परिवर्तित के बाद नावों को गंगा में चलाने की अनुमति
नगर आयुक्त ने कहा कि सीएनजी में परिवर्तित कराने के बाद ही डीजल इंजन वाले नावों को गंगा में चलाने की अनुमति दी जाएगी। यही नहीं उनका पंजीकरण भी नहीं किया जाएगा। वहीं जल पुलिस के सहयोग से बिना लाइसेंस वाले नावों की धर-पकड़ का अभियान शुरू किया जाएगा। पूर्व में भी नगर निगम ने कई अवैध नावों को पकड़ा है।
लाइसेंस विभाग को निर्देशित किया कि गंगा नदी में संचालित हो रही अवैध नावों को पकड़ने के लिए शीघ्र कार्य योजना बनाकर पेश करें। साथ ही सभी नावों का पंजीकरण भी कराएं।
वर्तमान में गंगा में करीब 1500 से अधिक नावों का संचालन हो रहा है। इसमें करीब 350 चप्पू नावों के अलावा मोटर बोट भी शामिल है। जबकि लाइसेंसधारी नावों की संख्या 1150 है। इसमें इंजन वाले वालों की संख्या 864 है।
निगम कई बार दे चुका है निर्देश
निगम सभी डीजल इंजन वालों नावों को सीएनजी इंजन परिवर्तित कराने के लिए कई बार निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद अब भी गंगा में डीजल से 167 नावें संचालित हो रही हैं। अब ऐसे नाविकों के खिलाफ निगम ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया गया है।
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