Move to Jagran APP

बदल रहा बनारस… काशी की गलियों में पहुंचा स्टारबक्स, क्या सूनी हो जाएगी कचौड़ी गली? मिला हैरान करने वाला जवाब

एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत विश्वमोहन मिश्रा अपने बच्चों के साथ लंका स्थित स्टारबक्स काफी हाउस से निकलते दिखे। ‘महादेव’ से अभिवादन होते ही बोल पड़े यही बच्चों की जिद थी स्टारबक्स की कॉफी पीने की तो इन्हें लेकर आना पड़ा। ‘क्या खासियत है इसकी’ सुनते ही बो पड़े ‘अरे गुरु शुरुआते 300 से है खासियत तो अपनी जगह’।

By Shailesh Asthana Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 02 Apr 2024 11:04 PM (IST)
Hero Image
स्टारबक्स काफी हाउस में स्वजनों संग काफी पीने पहुंचे लोग। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत विश्वमोहन मिश्रा अपने बच्चों के साथ लंका स्थित स्टारबक्स काफी हाउस से निकलते दिखे। ‘महादेव’ से अभिवादन होते ही बोल पड़े, यही बच्चों की जिद थी, स्टारबक्स की कॉफी पीने की तो इन्हें लेकर आना पड़ा। ‘क्या खासियत है इसकी’, सुनते ही बो पड़े, ‘अरे गुरु, शुरुआते 300 से है, खासियत तो अपनी जगह’। 

ट्रामा सेंटर के सामने रविदास गेट वाले रोड पर बीते महीने ही खुले टाटा एलायंस समूह की इस अंतरराष्ट्रीय कॉफी श्रृंखला में सप्ताहांत के दौर में दिखने वाली भीड़ बदलते बनारस के मिजाज को बताने के लिए काफी है। 

‘आवा रजा, लस्सी भिड़ावल जाय..’ और ‘काहो भांग छनल की नाहीं..’ की मस्ती में जीने वाले बनारसियों की नई पीढ़ी इन बहुराष्ट्रीय खाद्य और पेय कंपनियों की भी दीवानी हो चली है। तभी तो कचौड़ी-जलेबी और घुघनी से खरमेटाव करने वाले बनारस में मैकडोनाल्ड, नेस्ले, पेप्सिको, कोका-कोला आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के रेस्तरां, होटलों, आउटलेट्स की श्रृंखला खुलती जा रही हैं। 

स्वाद के रसिक और चटोरेपन के लिए ख्यात खांटी बनारसियों की बात अभी न करें तो नई पीढ़ी की भीड़ भी यहां बखूबी देखी जा सकती है। ऐसे में ‘कचौड़ी गली सून होई का...’ के सवाल पर गीतकार केडी दुबे बोल पड़ते हैं, ‘ई रजा बनारस हौ, कचौड़ी गली कब्बों सून ना होई, हां इनके साथ ऊहो चलिहें।

अब बनारस में खाली बनारसिये त ना हउवन।’ उनकी बात में भी दम है। स्टारबक्स में ही देखा तो खांटी बनारसी इक्का-दुक्का लेकिन आईआईटियंस, बीएचयू के छात्र, मल्टीनेशनल कंपनियों में यहां कार्यरत बड़े अधिकारियों के परिजनों ही काफी दिखे।

कचौड़ी-जलेबी, लस्सी-पान, बनारस की शान

अलसाते, धौंसियाते, पुचकारते और गंगा में डुबकी लगाते सुबह-ए-बनारस की गलियों में जब स्वाद का जादू घुलता है तो बनारसी एकदम चउचक हो हो जाता है। बनारस की प्रचलित कहावत कि “खर मेटाव से जे कइलस परहेज, रोग ओके मिले दहेज।” दुनिया जब बेड टी ले रही होती है तब खांटी बनारसी दिव्य निपटान के बाद गरमा-गरम कचौड़ी और जलेबी लेकर टंच हो चुका रहता है। 

वहीं अगर इसमें आलू की छोटकी कचौड़ी और झोलदार घुघनी मिल जाए तो फिर कहना ही क्या… गुरु नथुना फड़क जाता है स्वाद आत्मा तक पहुंच जाती है। पान, लस्सी, ठंडई, कचौड़ी जलेबी, चाट और चाय की अड़ियां बनारस की जान और बनारसीपन की पहचान हैं।

दक्षिण के बाद चाइनीज और अब ब्रांडेड कंपनियां जगा रहीं स्वाद का जादू

लघु भारत कही जाने वाली अपने स्ट्रीट फूड श्रृंखला के लिए पुरातन समय से समृद्ध रही है। काशी के परंपरागत नाश्ते से बीते कुछ दशकों से होड़ करते दिखे दक्षिण भारतीय व्यंजन। इडली, डोसा, पोहा, उत्तपम का स्वाद बनारसियों को इस कदर भाया कि दक्षिण भारत के जलपानगृहाें में दक्षिण भारतीयों के अलावा बनारसी और आसपास तथा घरेलू सैलानियों की भीड़ खूब दिखने लगी। 

इनके बाद जगह बनाई चाइनीज फास्ट फूड व्यंजनों ने। इनके रेस्तरां भी शहर में खूब खुले, बढ़े-फले-फूले। खान-पान के बनारसी शौक को देखते हए यहां प्रयोग भी खूब हुए। पारंपरिक शुद्ध देशी व्यंजनों को ‘बाटी-चोखा’ जैसे देशीपन लहजे वाले रेस्टोरेंट ने नई पहचान व सम्मान दिलाया तो रेलवे लाउंज, ट्रेन की बोगियों तो कहीं हवाई जहाज में रेस्त्रां खोल संचालकों ने बनारसियों को आकर्षित करने का प्रयास किया। पहले लस्सी, ठंडई की जगह कोक, सोडा वाटर और अन्य शीतल पेय तो चाय की परंपरागत अड़ियों की जगह लेने को स्टारबक्स जैसी कंपनियां भी होड़ में शामिल हो गई हैं।

कोई जगह छोटी नहीं, बनारस तो यूं भी खानपान में समृद्ध: गौरी

परंपरागत खानपान में समृद्ध और शौकीन बनारस में स्टारबक्स जैसी महंगी और राजसी काफी शाप कितनी जगह बना पाएगी। इस सवाल पर स्टोर मैनेजर गौरी दीक्षित ने कहा कि बनारस कोई छोटा शहर नहीं है। 

2022 में पूरे देश में स्टारबक्स के 300 काफी शाप थे, अब वे 500 पहुंच चुके हैं। यहां भी खूब चल रही है। पिछले 22 मार्च को शाप खुली लेकिन बनारसियों का खूब प्यार मिल रहा है। वीकेंड में तो बात करने की भी फुर्सत नहीं है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।