वाराणसी में देवदीपावली के पहले गंगा घाट एक दूसरे से जुड़े, रंगाई-पोताई शुरू होने से निखरने लगी सुंदरता
वाराणसी में देव दीपावली के मद्देनजर जगह-जगह घाटों की रंगाई-पोताई शुरू हो गई है। घाटों की सफाई होने से एक दूसरे से कनेक्टिविटी के रूप में दिखा। सभी 88 घाटों का एक दूसरे से संपर्क हो गया है।
By santosh kumar tiwariEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Thu, 03 Nov 2022 08:18 PM (IST)
जागरण संवाददाता, वाराणसी : गंगा का पानी अब स्थिर हो रहा है। ऐसे में नगर निगम ने घाटों की सफाई के लिए अपनी पूरी मशीनरी झोंक दी है। गुरुवार को इसका असर घाटों की एक दूसरे से कनेक्टिविटी के रूप में दिखा। सभी 88 घाटों का एक दूसरे से संपर्क हो गया है।
पर्यटकों से लेकर दर्शनार्थियों की आवाजाही अब घाटों किनारे दिखने लगी है। देव दीपावली के मद्देनजर जगह-जगह घाटों की रंगाई-पोताई शुरू हो गई है। नगर आयुक्त, अपर नगर आयुक्त से लेकर नगर स्वास्थ्य अधिकारी पूरे दिन विभिन्न गंगा घाटों पर जमे रहे। उनके इस प्रयास का नतीजा रहा कि गुरुवार की शाम अधिकांश घाटों की सफाई पर लगे पम्पों का शोर थम गया। अधिकांश घाटों पर अब पक्की मिट्टी का बेस मिल गया है जिससे कुदाल से मिट्टी की डे्रेसिंग का काम हो रहा है।
इन घाटों की निखरने लगी सुंदरता
आदि केशव घाट, नमो घाट, प्रहलाद घाट, रानी घाट, राजघाट, नंदीश्वर घाट, गाय घाट, हनुमान गढ़ी घाट, त्रिलोचन घाट, लाल घाट, शीतला घाट, बूंदी परकोटा घाट, बालाजी घाट, जटार घाट, मेहता घाट, भौंसले घाट, संकटा घाट, गंगा महाल घाट, ललिता घाट, त्रिपुरा भैरवी घाट, मान महल घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट, मुंशी घाट, दरभंगा घाट, चौसट्टी घाट, दिगपतिया घाट, क्षेमेश्वर घाट, हनुमान घाट, गुलेरिया घाट, शिवाला घाट, चेतसिंह घाट, प्रभू घाट, निषाद राज घाट, जैन घाट, तुलसी घाट, रीवा घाट।
पंचगंगा घाट पर गंगा अवतरण थीम
देव दीपावली के दिन होने वाले विविध कार्यक्रम को देखते हुए तैयारियां शुरू हो गई है। घाटों पर सजावटी सामानों को लाकर सजाने-संवारने का काम शुरू हो गया है। बूंदी परकोटा घाट की रंगाई केशरिया रंग में शुरू हो गई है वहीं पंचगंगा घाट पर नगर निगम ने गंगा अवतरण थीम पर रंगाई शुरू कर दी है।उधर, मेहता घाट पर भी पेंटिंग का काम शुरू हो गया है। गंगा घाटों की सफाई में लगे विशाल प्रोटेक्शन के कर्मचारियों का कहना था कि श्री काशी विश्वनाथ धाम घाट के सामने बने सीढिय़ों की ढाल सही नहीं है जिससे कीचड़ सफाई कार्य में सर्वाधिक पम्पों को वहां लगाना पड़ा।
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