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Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट करके जिंदगी भर की कमाई साइबर ठगों ने उड़ाई, पढ़ि‍ए बचाव के तरीके

उत्‍तर प्रदेश के वाराणसी जिले में साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर लोगों को करोड़ों का चूना लगाया है। पिछले दस महीनों में दस लोगों से साढ़े चार करोड़ रुपये की ठगी हो चुकी है। ऐसे में पुलिस लगातार लोगों को सजग कर रही है। उन्‍हें साइबर क्राइम के बारे में पूरी जानकारी दे रही है। जानिए कैसे बचें इन ठगों से।

By devendra nath singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 23 Oct 2024 03:44 PM (IST)
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डिजिटल अरेस्ट करके जालसाज ऐंठ रहे हैं रुपये। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। गिरफ्तारी का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट करते हुए साइबर ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते दस महीने में दस लोग ठगी का शिकार हुए। उनसे साढ़े चार करोड़ से रुपयों की ठगी हुई। पुलिस की जांच में पता चला कि सभी के साथ लगभग एक जैसी वारदात हुई है।

साइबर ठगों ने सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने जानकारी देकर गिरफ्तार करने का डर दिखाया। उनके बैंक खातों से जानकारी लेकर जांच के नाम पर रुपये खुद के संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया।

साइबर क्राइम थाना में दर्ज मुकदमों की जांच के पुलिस को पता चला कि जो लोग साइबर ठगी का शिकार हुए साइबर ठग ने उन्हें आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने की जानकारी देकर इस तरह डराते हैं कि वह ठगों की सभी बातों के बिना सोचे-समझे मानने लगता है।

उनके कहने पर अपनी निजी और बैंक खातों की जानकारी दे देते हैं। खुद को डिजिटल अरेस्ट मानते हुए अपनी सारी गतिविधियां वीडियो काल के सामने करते हैं। खुद ही अपने बैंक खातों से सारे रुपये साइबर ठगों के बताए हुए बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। जब तक उनका डर दूर होता और ठगी का एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। रुपये साइबर ठगों के हाथ में पहुंच चुके होते हैं।

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ऐसे बनाते हैं लोगों को शिकार

  • टेलिकॉम रेगुलेटरी अथार्टी का कर्मचारी बनकर फोन करते हैं और क्राइम ब्रांच के अधिकारी से बात कराने को कहते हैं
  • पुलिस अधिकारी बनकर बात करते हैं और आपराधिक गतिविधि में शामिल होना बताकर गिरफ्तारी का डर दिखाते हैं
  • वीडियो कालिंग पर पुलिस की वर्दी पहने नजर आते हैं
  • डिजीटल अरेस्ट करते हुए घर के ही अंदर रहने की धमकी देते हैं
  • डराकर बैंक खातों का जानकारी लेकर उनको चेक करते हैं
  • जो रुपये बैंक खातो में उनकी जांच के लिए खुद के संचालित बैंक खातों में ट्रांसफर करा लेते हैं।

डरें नहीं पुलिस की लें मदद

डीसीपी क्राइम ब्रांच प्रमोद कुमार का कहना है कि को पुलिस बनकर फोन काल करे और अपराध में शामिल होना बताकर गिरफ्तारी की बात करता है तो घबराएं नहीं। उसकी बातों की जांच करें। कोई भी डर दिखाने पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी न दें। अपने रुपये उनके बताए बैंक खातों में ट्रांसफर नहीं करें। किसी तरह की गड़बड़ी महसूस होने पर स्थानीय पुलिस की मदद लें।

गिरफ्तारी का डर दिखाकर इनके साथ हुई साइबर ठगी

  • रथयात्रा स्थित अमलताश अपार्टमेंट में रहने वाली शिक्षिका शम्पा रक्षित से तीन करोड़ 55 लाख रुपये
  • मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के मड़ौली निवासी अमिताभ श्रीमनी से 40 लाख रुपये
  • भेलूपुर थाना क्षेत्र के सोनारपुरा निवासी निहार पुरोहित से 29 लाख
  • शिवपुर के तरना निवासी सुभाष सिंह से 19 लाख रुपये
  • चितईपुर थाना क्षेत्र के सुसुवाही निवासी राम नरेश सिंह से साढ़े दस लाख रुपये
  • आइएमएस बीएचयू के डिपार्टमेंट आफ रेडियोथेरिपी में तैनात डा. साश्वती साहू से पांच लाख रुपये
  • चितईपुर थाना क्षेत्र के विवेकानंद नगर में रहने वाली जया झा से एक लाख 40 हजार रुपये
  • कैंट थाना क्षेत्र के भुवनेश्वर नगर कालोनी निवासी सेवानिवृत्त सहायक चंकबंदी अधिकारी सुधीर सिंह परमार से 38 लाख रुपये
  • बड़ागांव के अहरक निवासी हंसराज सिंह से साढ़े आठ लाख रुपये
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सजगता से ही होगा बचाव

  • इंटरनेट मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें
  • लोगों से आनलाइन चैटिंग के दौरान भी प्रयास करें की वह सार्वजनिक न हो
  • किसी भी अनजान व्यक्ति के फोन काल पर अपने बारे में जानकारी न दें
  • अनजान मेल, मैसेज के जरिए मिले किसी प्रलोभन, सूचना की जांच जरूर कर लें
  • ठगी का शिकार होने पर तत्काल यहां करें शिकायत
  • 7839856954-हेल्पलाइन साइबर सेल (वाराणसी)
  • 1930- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय का
  • एनसीसीपीआर-नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल
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