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कौन है बाहुबली विजय मिश्र? मोदी लहर में भी जीते थे चुनाव, योगी राज में शुरू हुए बुरे दिन; 83 से अधिक मुकदमे...

Bhadohi Bahubali Vijay Mishra उत्तर प्रदेश में सिर्फ अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी ही बाहुबली नहीं रहे उनके जैसे कई दबंग सफेदपोश और थे जिनकी दहशत थी। ऐसा ही एक नाम विजय मिश्र था। खुद को जनबली कहने वाला यह बाहुबली अब महिला गायिक से दुष्कर्म के आरोप में सजा भुगतेगा।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Sun, 05 Nov 2023 11:21 AM (IST)
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83 से अधिक मुकदमे, तीन दशक पुराना राजनीतिक सफर... योगी राज में शुरु हुए बुरे दिन
संग्राम सिंह, वाराणसी। प्रदेश में सिर्फ अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी ही बाहुबली नहीं रहे, उनके जैसे कई दबंग सफेदपोश और थे, जिनकी दहशत थी। ऐसा ही एक नाम विजय मिश्र था। खुद को 'जनबली' कहने वाला यह बाहुबली अब महिला गायिक से दुष्कर्म के आरोप में सजा भुगतेगा।

विजय पर यूं तो 83 से अधिक मुकदमे दर्ज थे, लेकिन उसके दबदबे और डर के कारण कोई पीड़ित कभी खुलकर सामने आने का साहम नहीं जुटा पाता था। उसके बुरे दिन योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद शुरू हुए।

चार बार ज्ञानपुर सीट से रहे विधायक

'ब्राह्मण कार्ड' खेलकर भदोही की ज्ञानपुर सीट से चार बार विधायक रहे विजय के रसूख पर सरकार ने करारी चोट की, उसके अवैध कामों पर 'ब्रेक डाउन' लगा दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव के समय शपथपत्र में उसने 16 आपराधिक मुकदमे अपने खिलाफ होने की बात स्वीकार की थी। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास व आपराधिक साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप थे।

हालांकि वह इन आरोपों को राजनीतिक षड्यंत्र ही बताता रहा। रिश्तेदार की संपत्ति कब्जा करने और उसे जान से मारने की धमकी देने के मामले में वह 2020 में गिरफ्तार हुआ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बलिया के सांसद वीरेंद्र सिंह 'मस्त', सकलडीहा (चंदौली) के विधायक सुशील सिंह और पूर्व एमएलसी विनीत सिंह से अपनी जान का खतरा बताया था।

लगातार जीतता रहा चुनाव

भदोही ब्राह्मण बहुल क्षेत्र रहा है। हरिशंकर तिवारी के गोरखपुर तक सिमटने के बाद खाली स्थान को विजय मिश्र ने इस्तेमाल किया। धनबल और ब्राह्मण कार्ड खेलकर लगातार चुनाव जीतता रहा। उसे राजनीति में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलापित त्रिपाठी ले आए थे।

पहला चुनाव उसने ब्लाक प्रमुख का लड़ा और जीता। खुद को ब्राह्मणों के मसीहा के रूप में स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन पूर्व सांसद गोरखनाथ पांडेय के छोटे भाई रामेश्वर नाथ पांडेय और पूर्व मंत्री राकेशधर त्रिपाठी के भाई धरनीधर त्रिपाठी समेत कई ब्राह्मणों की हत्या का आरोप भी विजय पर लगा।

राजनीति में ऊंचाई पर पहुंचने की चाहत में विजय ने दहशत की राह चुनी। रिश्तेदार कृष्ण मोहन तिवारी द्वारा दर्ज करए गए मुकदमे में ही वह गिरफ्तार हुआ था। भाजपा के पूर्व विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी, मनीष मिश्र, गोरखनाथ पांडेय, राकेशधर त्रिपाठी, रंगनाथ मिश्र व अजय शुक्ला समेत कई नेताओं पर संगीन आरोप लगाता रहा।

विजय मिश्र का राजनीतिक सफर

  • भदोही से कांग्रेस ब्लाक प्रमुख के रूप में तीन दशक पहले राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
  • ज्ञानपुर सीट से 2002, 2007, 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में विधायक बना
  • अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उसका टिकट काट दिया था
  • निषाद पार्टी से चुनाव लड़ा और देश में मोदी लहर के बावजूद जीता

2001 में सपा से तमाम शर्तों पर मिला था विधायकी का टिकट

1980 के आसपास विजय भदोही आया और काम शुरू किया। उसे एक पेट्रोल पंप मिल गया और कुछ ट्रक चलवाने लगा। 1990 में ब्लाक प्रमुख बना। 2001 में विधायकी का टिकट इस शर्त पर सपा ने दिया था कि ज्ञानपुर के साथ हंडिया, भदोही और मीरजापुर में सपा उम्मीदवारों को जीत दिलाएगा। भदोही लोकसभा सीट भी जितवाएगा। सभी सीटों पर सपा जीत भी गई।

2005 में पत्नी रामलली को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। 2007 का विधानसभा चुनाव जीता। फरवरी 2009 में भदोही में उपचुनाव होने थे। मायावती की मदद करने से इनकार करना उसे भारी पड़ गया। उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस भेज दी गई। उसी वक्त मुलायम सिंह यादव भदोही में सभा कर रहे थे। वह उसे हेलीकाप्टर में लेकर उड़ गए।

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