Move to Jagran APP

BHU Admission: बीएचयू में खाली सीटों की समीक्षा करेगी कमेटी, 13 विशेष कोर्सेज बंद

बीएचयू में खाली सीटों की समीक्षा के लिए कमेटी गठित की गई है। 13 विशेष कोर्सेज को बंद करने का फैसला लिया गया है। अकादमिक परिषद की बैठक में स्नातक पाठ्यक्रमों की फीस संरचना में बदलाव किया गया है। पीएचडी स्कॉलर्स को हर सेमेस्टर में फीस का भुगतान करना होगा। स्वास्थ्य डायरी और पुस्तकालय कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी कदम उठाए गए हैं।

By Sangram Singh Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 06 Nov 2024 02:55 PM (IST)
Hero Image
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक में सीट भरने को लेकर चर्चा की गई। जागरण
 जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक मंगलवार को कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की अध्यक्षता में हुई, इसमें कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। दो विषयों में प्रवेश के लिए कोई आवेदन नहीं आए थे। कई विषय ऐसे भी रहे, जहां पेड सीट भी नहीं भर सकी।

ऐसे सभी विषयों की स्क्रीनिंग कमेटी करेगी। वृहद समीक्षा के बाद तय होगा कि इन विषयों की सीटें यथावत रखी जाएं या फिर सीटें घटा दी जाएं। विवि से संबद्ध डीएवी, आर्य महिला पीजी कालेज, वसंत कन्या महाविद्यालय और वसंत कालेज राजघाट में अभी तक पीएचडी के लिए नियम था कि एक विषय पर अधिकतम पांच स्कालर ही रह सकते हैं, लेकिन इससे हर शिक्षक को मौका नहीं मिल पाता था।

विभाग अपने द्वारा बनाए गए नियमों के तहत शिक्षकों में रिसर्च स्कालर का बंटवारा करता था। ऐसी स्थिति में अधिकांश शिक्षकों को छात्र नहीं मिलते थे लेकिन अब तय हुआ है कि हर शिक्षक को समान अवसर दिया जाएगा। हर शिक्षक एक छात्र मांग सकता है। वह पीएचडी कराने के लिए योग्य हो सकता है। एक पीएचडी कराने के बाद वह दूसरी सीट की डिमांड भी कर सकेगा।

इसे भी पढ़ें-गोरक्ष नगर मंडल से भाजपा के सक्रिय सदस्य बने योगी, जारी की गई पहली सूची

इस व्यवस्था से पीएचडी की सीटें भी बढ़ेंगी। 50 सीटों का इजाफा हो सकता है। नए नियम को वर्तमान सत्र से लागू किया जाएगा। बैठक में करीब 13 विशेष कोर्सेज को सत्र 2024-25 से बंद करने के लिए अंतिम मुहर लगी है, इसमें सीसीपीआर और प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण में छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स, आयुर्वेद में दो महीने का परिचयात्मक पाठ्यक्रम और एक वर्षीय आयुर्वेद का सर्टिफिकेट कोर्स, दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा इन अग्निकर्मा एवं जलौका वाचरन, कारपाेरेट गवर्नेंस में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा, उर्दू अनुवाद और मास मीडिया में पीजी डिप्लोमा, वैकल्पिक विवाद समाधान में दो वर्षीय डिप्लोमा और कारपोरेट सोशल में दो साल का एडवांस डिप्लोमा कोर्स शामिल है।

इसके अलावा जनसंख्या अध्ययन एक वर्षीय पूर्णकालिक, जनसंचार और मीडिया कानून में एक वर्षीय पाठ्यक्रम, आपदा प्रबंधन एक वर्षीय पूर्णकालिक, उपशमी चिकित्सा एक वर्षीय पूर्णकालिक, बाल पंचकर्म में सर्टिफिकेट कोर्स भी बंद कर दिए गए हैं। हालांकि अकादमिक परिषद ने दो पाठ्यक्रमों को जारी रखने का निर्णय लिया है, इसमें पंचकर्मा थेरेपी का दो वर्षीय कोर्स और आयुर्वेदिक दर्द प्रबंधन में एक वर्षीय पाठ्यक्रम शामिल हैं।

यह भी कहा गया है कि आयुर्वेदिक दर्द प्रबंधन कोर्स की समीक्षा एक वर्ष के बाद होगी। अगर इस पाठ्यक्रम में सीटें खाली रह जाती हैं तो अकादमिक परिषद आगे विचार किए बिना ही कुलपति के आदेश से इसे तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा।

स्नातक पाठ्यक्रमों की शुल्क संरचना बदली, प्रति सेमेस्टर ली जाएगी फीस

स्नातक पाठ्यक्रमों की संशोधित फीस संरचना पर सहमति बनी है। अब फीस प्रति सेमेस्टर ली जाएगी और काशन मनी शुल्क का हिस्सा होगी। ट्यूशन फीस और विकास शुल्क अलग से प्रदर्शित होगी। छात्रों द्वारा विलंब से शुल्क जमा करने पर विलंब शुल्क का प्रविधान होगा।

नियमित पाठ्यक्रम में एक महीने की देरी के लिए 500 रुपये और एक माह के बाद एक हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा। विशेष पाठ्यक्रम व पेड सीटों के लिए एक माह की देरी के लिए दो हजार रुपये और एक माह के बाद चार हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा।

विद्यार्थियों ने फीस जमा नहीं की तो उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसी तरह पीएचडी स्कालर्स को हर सेमेस्टर में फीस का भुगतान करना होगा। एक महीने तक की देरी के लिए 500 रुपये जबकि एक माह से छह माह तक देरी के लिए 1000 रुपये शुल्क लिया जाएगा।

शुल्क में देरी के बाद उनका प्रवेश रद माना जाएगा। छह माह से अधिक समय तक भुगतान नहीं करने पर पुनः प्रवेश की स्वीकृति कुलपति द्वारा निदेशकों व डीन की विशिष्ट अनुशंसा पर की जाएगी। दोबारा प्रवेश के लिए 10 हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा। पूर्णकालिक एवं अंशकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश पर चर्चा हुई।

स्वास्थ्य डायरी व पुस्तकालय कार्ड का दुरुपयोग रोकने को लिए फैसले

नियमित यूजी और पीजी छात्र, बीएचयू कर्मचारी, बीएचयू के उत्तीर्ण छात्र और बाहरी लोग अंशकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में शामिल होते हैं। कुछ उत्तीर्ण छात्र और इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले कुछ बाहरी लोग छात्र सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य डायरी, पुस्तकालय कार्ड आदि का दुरुपयोग करते हैं।

अब पूर्णकालिक डिप्लोमा पाठ्यक्रम में न्यूनतम शैक्षणिक आवश्यकता, क्रेडिट और पाठ्यक्रम के घंटों की निश्चित संख्या होनी चाहिए। केवल बीएचयू के यूजी और पीजी कार्यक्रम के नियमित छात्रों को ही पार्ट टाइम डिप्लोमा या सर्टिफिकेट पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेना होगा। कोई पार्ट टाइम डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स उम्मीदवारों को अन्य कोर्स की अनुमति देता है तो उन्हें नए सिरे से वार्षिकोत्सव लेना होगा।

इसे भी पढ़ें-महाकुंभ में सेल्फी और रील पर प्रतिबंध, बात नहीं मानी तो होगी कार्रवाई

पीजी के छात्रों के लिए भी विलंब शुल्क

यूजी की तरह अब पीजी के छात्रों के लिए विलंब शुल्क निर्धारित किया गया है। नियमित पाठ्यक्रम के लिए एक माह की देरी के लिए 500 रुपये और एक माह के बाद एक हजार रुपये विलंब शुल्क लिया जाएगा। विशेष पाठ्यक्रम और भुगतान सीट के लिए एक माह की देरी के लिए 2000 रुपये जबकि एक माह के बाद 4000 रुपये शुल्क लिया जाएगा।

एक साल ली दो डिग्री, दो छात्र करेंगे सरेंडर

महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र की पीएचडी छात्रा जीनत महजबीं और मनोविज्ञान विभाग के पीएचडी स्कालर शुभम पांडेय ने एक ही वर्ष दो डिग्री ली है, एक डिग्री सरेंडर करने पर सहमति बनी है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।