बीएचयू की एथिकल कमेटी ने दी थी कोवैक्सीन पर शोध की अनुमति, दो विज्ञानी आज आइएमएस के निदेशक के सामने रखेंगे अपना पक्ष
कोवैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) में हुए शोध के मामले में नई जानकारी सामने आई है। शोध टीम का नेतृत्व कर रहे जीरियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष प्रो. शुभशंख चक्रवर्ती और फार्माकोलाजी विभाग की डा. उपिंदर कौर ने शोध शुरू करने से पहले आइएमएस की एथिकल कमेटी से अनुमति ली थी। इससे पहले 10 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कोवैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आइएमएस) में हुए शोध के मामले में नई जानकारी सामने आई है। शोध टीम का नेतृत्व कर रहे जीरियाट्रिक विभाग के अध्यक्ष प्रो. शुभशंख चक्रवर्ती और फार्माकोलाजी विभाग की डा. उपिंदर कौर ने शोध शुरू करने से पहले आइएमएस की एथिकल कमेटी से अनुमति ली थी।
2021 में तत्कालीन डीन रिसर्च और आइएमएस के पूर्व कार्यवाहक निदेशक डा. एसके सिंह ने कमेटी के चेयरमैन समेत कई वरिष्ठ विज्ञानियों को बतौर सदस्य आमंत्रित किया था। कमेटी में छह से आठ सदस्य आइएमएस के भी थे। इस कमेटी की निगरानी में ही शोध किया गया और प्रकाशन के लिए स्विस जर्नल स्पि्रंगर नेचर में प्रकाशन के लिए भेजा गया।
पिछले दो वर्षों में डा. शुभशंख चक्रवर्ती ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन पर डेढ़ दर्जन शोध किए हैं। 10 से 12 शोधपत्र पांच विदेशी जर्नलों में प्रकाशित हो भी चुके हैं, लेकिन मई में स्पि्रंगर के ड्रग सेफ्टी जर्नल में प्रकाशित इस शोध से हंगामा मच गया।
शोध के लिए आइसीएमआर को आभार जताया गया है। इस कारण आइसीएमआर ने आइएमएस को नोटिस जारी कर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। शोध के डिजाइन और पैटर्न को गड़बड़ बताते हुए इसे निरस्त करने के लिए जर्नल के संपादक को पत्र भी लिखा है। आइएमएस निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी की रिपोर्ट भी आइसीएमआर को भेजी गई है।
वहीं, शोध टीम ने आइसीएमआर से माफी मांग ली है। बुधवार को शोध टीम के विज्ञानी निदेशक के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे। इस टीम के प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए हर शोध का परीक्षण किया जाएगा। रिपोर्ट बीएचयू प्रशासन को भेजी जाएगी। संभव है कि एथिकल कमेटी के अलावा पूर्व डीन भी कार्रवाई की दायरे में आएं।
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